Bihar: कैमूर जिले के चैनपुर प्रखंड क्षेत्र के सभी पंचायत में सावन माह के आखिरी सोमवारी पर श्रद्धालुओं की भारी संख्या में मंदिरों में भीड़ जुटी सुबह से ही सभी शिवालय में श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा अर्चना प्रारंभ कर दिया गया, वहीं ग्राम पंचायत अमांव में स्थापित श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव पर वाराणसी से जल लाकर चढ़ने वाले कांवरियों की ब्रह्म मुहूर्त में ही काफी संख्या में भीड़ छूट गई।
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मिली जानकारी के मुताबिक उत्तर प्रदेश से गंगाजल लेकर भारी संख्या में श्रद्धालु श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव मंदिर में पहुंचे सुबह सर्वप्रथम कांवरियों के द्वारा गंगाजल से दयाल नाथ महादेव का जलाभिषेक प्रारंभ कर दिया गया जो सुबह 8:00 बजे तक चलता रहा, जिसके बाद आसपास के अन्य गांव के श्रद्धालुओं के द्वारा पूजा अर्चना शुरू की गई, श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव पर वाराणसी से गंगाजल लाकर अर्पित करने का यह सिलसिला सैकड़ो वर्षों से चला आ रहा है।
ग्रामीण बलदाऊ सिंह पटेल के द्वारा जानकारी देते हुए बताया गया श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव मंदिर में पूजा अर्चना के लिए आसपास के क्षेत्र ही के ही नही, अन्य राज्यों के श्रद्धालु भी पहुंचते हैं लोगों में दयाल नाथ स्वामी महादेव को लेकर विशेष आस्था है मान्यता है कि श्रीदयाल नाथ स्वामी महादेव मंदिर में आकर पूजा अर्चना करने वाले श्रद्धालुओं की सभी मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं।
स्थानीय ग्रामीणों के मुताबिक ग्राम अमांव में सैकड़ो वर्ष पूर्व भीषण जल संकट उत्पन्न हो गया था बूंद बूंद पानी के लिए लोग तरस रहे थे, उस दौरान ग्रामीणों ने सहयोग करते हुए कुएं की खुदाई शुरू की खुदाई के दौरान एक बक्सा लोगों को मिला था, बक्से के अंदर एक शिवलिंग था खुदाई के दौरान शिवलिंग पर हल्की खरोंच लग जाने के कारण रक्त जैसा द्रव शिवलिंग से बाहर आने लगा था, ग्रामीण घबरा गए जिसके बाद।
जिस स्थल पर भगवान शिव की शिवलिंग बक्से में बंद लोगों को मिली थी, उसी स्थान पर शिवलिंग की स्थापना कर दी गई, यही कारण है कि अमांव स्थित मंदिर में भगवान शिव की शिवलिंग गर्भगृह में है वास्तविक धरातल से सीढ़ियों के सहारे गर्भ गृह में जाने का रास्ता है जहां श्री दयाल नाथ स्वामी महादेव का शिवलिंग स्थापित है जहां लोगों के द्वारा पूजा अर्चना की जाती है।
वहीं इस मंदिर की एक विशेष परंपरा है, भादो मास में प्रथम सोमवारी पर भव्य मेले का आयोजन होता है हजारों की संख्या में कांवरिया वाराणसी से गंगाजल लाकर भगवान दयाल नाथ स्वामी को अर्पित करते हैं।