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इतना ही नहीं उन्होंने 24 जनवरी को कर्पूरी जयंती पर आयोजित कार्यक्रम में उन्होंने बिना नाम लिए लालू यादव पर निशान साधते हुए सियासत में परिवारवाद को बढ़ावा देने की बात कही। वही सीएम नीतीश को जवाब देते हुए लालू प्रसाद यादव की बेटी रोहिणी आचार्य ने 25 जनवरी को सोशल मीडिया पर एक के बाद एक तीन पोस्ट करके बिना नाम लिए नीतीश कुमार पर निशाना साधा है। इन सभी बयानबाजी और सियासी हलचल के बीच लोगों के जेहन में कई सवाल उठ रहे हैं। सवाल ये कि क्या नीतीश कुमार एक बार फिर से पाला बदल रहे हैं?
क्या नीतीश कुमार बिहार विधानसभा भंग कर राज्य में लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ कराएंगे? क्या बीजेपी के साथ आने के बाद भी नीतीश कुमार सीएम बनए रहेंगे? क्या लालू यादव बड़ा उलटफेर करते हुए तेजस्वी यादव को सीएम की शपथ दिलवा सकते हैं? सियासी गलियारों में चल रही सूचनाओं के मुताबिक नीतीश कुमार विधानसभा को भंग कर के कार्यवाहक मुख्यमंत्री बने रह सकते हैं। इसके साथ ही राज्य में लोकसभा चुनाव के साथ ही विधानसभा का चुनाव भी करा लिया जाए। चुनाव के बाद आगे गठबंधन और नेता पर निर्णय लिया जाए।
वही पॉलिटिकल एक्सपर्ट की मनो तो सीएम के पास विशेषाधिकार होता है कि वे जब चाहें विधानसभा भंग कर दें। बिहार में एक तस्वीर इसकी भी बनती हुई दिखाई दे रही है। बीजेपी का एक बड़ा धड़ा ये मानता है कि लोकसभा चुनाव से पहले नीतीश कुमार को साथ नहीं लिया जाए। अगर बीजेपी का सीएम बनेगा भी तो वो मात्र एक साल का ही होगा। ऐसे में बीजेपी चाहेगी कि लोकसभा और विधानसभा का चुनाव एक साथ हो जाए और नए जानदेश के साथ बिहार में अपनी सरकार बनाई जाए।