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इस मामले में जन सुराज के सूत्रधार प्रशांत किशोर ने निशाना साधते हुए कहा की महागठबंधन सरकार में 2 लाख से अधिक शिक्षकों को दिया गया रोजगार सबसे बड़ा फ्रॉड है। इसमें आधे से ज्यादा लोग वो थे, जो पहले से नियोजित शिक्षक थे अब उन्हें राज्यकर्मी बना दिया गया है। तो ये कैसे नया रोजगार है। दूसरा जो नए लोगों को रोजगार मिला है उसमें आधे से ज्यादा लोग बिहार के नहीं हैं। नीतीश कुमार जैसे बेवकूफ आदमी खुद ही खड़ा होकर गिना रहे थे कि 12-13 राज्यों के लोग यहां आकर शिक्षक बने। लेकिन, उस सरकार की हिम्मत नहीं थी कि संख्या जारी कर बताए कि कितने बिहार के नए युवाओं को नौकरी दी। 50% से अधिक लोगों का सर्विस कंडीशन बदला है, उन्हें नया रोजगार नहीं मिला। बचे 50% लोगों को नौकरी दी गई है।
जिन लोगो को नौकरी मिली है उसमें से ज्यादातर लोग बिहार के बाहर के हैं। ये महागठबंधन के नेता तेजस्वी, नीतीश और लालू की सोच है कि हमारे बच्चे दूसरे राज्यों में जाकर मजदूरी करे, ठेला लगाए और सब्जी बेचे और दूसरे राज्यों से लोग यहां आकर 50 हजार रुपए की नौकरी करे। ये इनकी दुर्दर्शिता दिखाता है। आगे प्रशांत किशोर ने कहा कि नीतीश कुमार प्रधानमंत्री बनने की लालच में देश में अपना इमेज बना रहे थे। हम यूपी, गुजरात के लोगों को बिहार में रोजगार देंगे, तो सब लोग कहेंगे कि नीतीश कुमार बहुत बड़े नेता हैं। लेकिन मैं आप लोगों को बता दूं की ये आदमी अपनी कुर्सी और अपनी महत्वकांक्षा के लिए बिहार के किसी वर्ग का, किसी व्यक्ति का कुछ भी बेचने को तैयार है। ये बिहार की जनता देख रही है कि नीतीश कुमार अपनी कुर्सी बचाने के लिए, अपनी महत्वकांक्षा के लिए कुछ भी कुर्बानी देने के लिए तैयार है। चाहे लोगों की बलि चढ़ जाए इस आदमी को कोई चिंता नहीं है।