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इस पॉइंट पर ग्रहण का प्रभाव नहीं पड़ता जिसके चलते यहां से सूरज की स्टडी आसानी से की जा सकती है, पृथ्वी और सूरज के बीच की दूरी करीब 15 करोड़ किमी है जहां इस सैटलाइट आदित्य L-1 को प्लेस किया जाएगा वो लैगरेंज पॉइंट L-1 धरती से करीब 15 लाख किलोमीटर दूर है, इस ऑब्जर्वेटरी को बेंगलुरु स्थित यूआर राव सैटेलाइट सेंटर में बनाया गया है यहां से इसे श्रीहरिकोटा के सतीश धवन स्पेस सेंटर लाया गया है।
सोलर एक्टिविटीज और रियल टाइम में अंतरिक्ष के मौसम पर उनके असर को समझा जा सकेगा, ये स्पेसक्राफ्ट सात पेलोड लेकर जाएगा जो इलेक्ट्रोमैग्नेट और पार्टिकल और मैग्नेटिक फील्ड डिटेक्टर्स की मदद से फोटोस्फियर, क्रोमोस्फियर और सूरज की बाहरी परतों की स्टडी करेंगे L-1 पॉइंट से चार पेलोड सीधे सूरज को देखेंगे और तीन पेलोड वहीं पर पार्टिकल्स और फील्ड की स्टडी करेंगे, आदित्य L-1 सोलर कोरोना और उसके हीटिंग मैकेनिज्म की स्टडी करेगा।
लैगरेंज पॉइंट्स अंतरिक्ष में वो जगह होती है जहां किसी ऑब्जेक्ट को रखा जाए तो वो वहीं रहता है, लैगरेंज पॉइंट पर दो बड़ी बॉडीज के बीच गुरुत्वाकर्षण उतना ही होता है जितना उन दोनों बॉडीज के बीच मौजूद छोटे ऑब्जेक्टस को मूव करने के लिए सेंट्रिपिटल फोर्स की जरूरत होती है, लैगरेंज-1 पॉइंट पर प्लेस की जाने वाली सैटेलाइट के पास सबसे बड़ा एडवांटेज ये होता है कि यहां ग्रहण का असर नहीं होता सैटेलाइट यहां से बिना किसी रुकावट के लगातार सूरज का स्टडी कर सकता है।