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इसमें शामिल कानूनों की न्यायिक समीक्षा नहीं हो सकती है। वही आगे उन्होंने कहा की मंडल आयोग की अनुशंसा लागू होने के बाद से ही लालू प्रसाद के द्वारा देश में जाति जनगणना कराने और उसके अनुसार आरक्षण की सीमा का निर्धारण करने की मांग किया जा रहा है। पिछड़े वर्गों की पहचान कर उनके लिए विशेष अवसर देना है। राजद इन सवालों को सदन और सड़क पर उठाता रहा है। राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि जातीय गणना से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर महागठबंधन सरकार द्वारा अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजाति, इबीसी और ओबीसी के लिए आरक्षण के सीमा को बढ़ाया गया।
उच्च न्यायालय ने आरक्षण पर रोक लगा दी। सुप्रीम कोर्ट द्वारा उच्च न्यायालय के आदेश पर स्थगन देने से इंकार कर दिया गया है। राजद प्रवक्ताओं ने कहा कि मुख्यमंत्री नीतीश कुमार जी आज इस स्थिति में हैं कि वे यदि केन्द्र सरकार पर दबाव बनाते हैं तो बिहार आरक्षण को नौवीं अनुसूचि में शामिल कर लिया जाएगा।