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याचिक में वादी ने कोर्ट से मांग की है कि असंवैधानिक तरीके से बनी इस सरकार को बर्खास्त कर दिया जाए, बताया जा रहा है कि सामाजिक कार्यकर्ता धर्मशिला देवी और अधिवक्ता वरुण सिन्हा की ओर से एक याचिका दायर की गई, इसे जनहित याचिका बताया गया है, याचिका में कहा गया है कि 2020 में मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने एनडीए नेता के तौर पर विधानसभा चुनाव में अपनी उपस्थिति दर्ज कराई और एनडीए के नाम पर ही उन्हें बहुमत मिला, अब नीतीश कुमार महागठबंधन का घटक दल बनकर मुख्यमंत्री बने हुए हैं यह संसदीय लोकतंत्र और संविधान के आधारभूत ढांचे के खिलाफ है।
याचिकाकर्ता ने याद दिलाया है कि फिर 2017 में आरजेडी का साथ छोड़कर बीजेपी के साथ सरकार बनाने के बाद राजद और तेजस्वी यादव जनादेश की चोरी वाली सरकार बता रहे थे, इसके आधार पर भी नीतीश की सरकार असंवैधानिक है याचिका में कहा गया है कि अनुच्छेद 163 और 64 के तहत राज्यपाल को नीतीश को पुनः नियुक्त नहीं करना चाहिए था क्योंकि मेजॉरिटी वाला गठबंधन छोड़कर माइनॉरिटी कोलिशन के साथ मिलकर नीतीश कुमार ने सरकार बना ली और सीएम बन गए।
शपथ ग्रहण के बाद से ही बिहार के महागठबंधन सरकार विवादों से घिरती नजर आ रही है पहले कानून मंत्री कार्तिकेय मास्टर के वारंटी होने का मामला जोर-शोर से उठा उसके बाद किसी कानून मंत्री सुधाकर सिंह का नाम चावल घोटाले और चंद्रशेखर का नाम कारतूस मामले में उछाला गया, अब पूरी सरकार को कोर्ट में घसीटना की कवायद की गई है।