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दरअसल मुजान गांव के आशुतोष सिंह के बगीचे में लगा एक नीम के पेड़ से दूध जैसा तरल निकलते दिखा ऊपर की टहनी से निकलकर तना के सहारे यह पदार्थ जमीन पर काफी मात्रा में जमा हो रहा था, इसकी जानकारी मिलते ही वहां लोगों की भीड़ इकट्ठी हो गई लोगों के लिए कौतूहल का विषय बना हुआ था, लोग आस्था से जोड़ रहे थे पूजा पाठ करने की बात कर रहे थे तो कोई रोगो की अचूक दवा बता रहा था और बर्तन में भरकर ले जा रहा था, तो कोई रोगो की अचूक दवा बता रहा था और बर्तन में भरकर ले जा रहा था।
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हालांकि कृषि वैज्ञानिक पौष्टिक तत्वों की कमी कारण उत्पन्न समस्या बता रहे हैं, नीम के पेड़ को देखने के लिए वहां काफी संख्या में ग्रामीणों की भीड़ लग गई, जिसमें मुजान गांव के अलावा अगल-बगल गांव के लोग भी शामिल थे, यह क्रम शाम तक जारी रहा, कई लोग इसे देवी चमत्कार मान कर पूजा पाठ की बात कर रहे थे नीम का पेड़ देवी का प्रिय माना जाता है, इससे निकलते पदार्थ को लोग देवी का प्रसाद मानकर घर ले जा रहे थे, जहां से दूध जैसा पदार्थ निकल रहा था वहां से भाप जैसा भी निकल रहा था ऐसा लग रहा था जैसे किसी चीज को चूल्हे पर गर्म किया जा रहा हो।
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इस संबंध में कृषि वैज्ञानिक अमित कुमार सिंह ने बताया कि जड़ से पूरे वृक्ष को पौष्टिक तत्व मिलता है, जाइलम द्वारा पौष्टिक तत्व को तना तक पहुंचाया जाता है, वहां से फ्लोएम द्वारा पेड़ की टहनियों व पत्तियों तक इसे पहुंचाने का कार्य किया जाता है, जाइलम के फटने के कारण नीम के पेड़ से दूध जैसे पदार्थ निकल रहा था, स्टेप्लोसाइक्लीन व ऑक्सिक्लोराइड का घोल बनाकर छिड़काव करने से समस्या का समाधान हो जाएगा, जहां से पदार्थ निकल रहा है वहां कॉपर ऑक्सिक्लोराइड का लेप करने से भी लाभ होगा।
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