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सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी की रिपोर्ट में बिहार में बेरोजगारी दर 14.8 प्रतिशत

बिहार में बेरोजगारी दर 14.8 प्रतिशत

Bihar: बिहार को नीति आयोग की रिपोर्ट के बाद पहले ही पिछड़े राज्य का दर्जा मिल चुका है, अभी यह मुद्दा खत्म ही नहीं हुआ था कि इसी बीच सेंटर फॉर मॉनिटरिंग इंडियन इकोनामी की ताजा रिपोर्ट में बिहार में बेरोजगारी बढ़ी है, अक्टूबर के 13.9 प्रतिशत की तुलना में नवंबर में 14.8% बेरोजगारी दर दर्ज की गई है, सितंबर के 10% से तुलना करें तो 2 महीने के भीतर बेरोजगारी में 4.8 प्रतिशत का इजाफा हुआ है।

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बिहार में बेरोजगारी दर 14.8 प्रतिशत
बिहार में बेरोजगारी दर 14.8 प्रतिशत

हालांकि बिहार में अन्य राज्यों की अपेक्षा बेरोजगारी दर कम है, नवंबर में देश के कई राज्यों में भी बेरोजगारी बढ़ी है, साधन संपन्न हरियाणा इस मामले में शीर्ष पर है, वहां 29.3% बेरोजगारी दर दर्ज की गई है, हरियाणा के अलावा राजस्थान और जम्मू कश्मीर से भी बिहार की हालत अच्छी है, जम्मू कश्मीर में 21.4 और राजस्थान में बेरोजगारी दर 20.4% बताए गए है, वही बिहार की तुलना में झारखंड की स्थिति अच्छी है, झारखंड में यह दर 11.2% है।

रिपोर्ट के अनुसार बिहार में बेरोजगारी बढ़ने के मुख्य दो कारण सामने आए हैं पहला असंगठित क्षेत्र में काम की कमी दूसरा मनरेगा के तहत चालू वित्तीय वर्ष में 20 करोड़ श्रम दिवस सृजित करने का लक्ष्य रखा गया था, वित्तीय वर्ष के 8 माह में यानी नवंबर तक सिर्फ 11 करोड़ श्रम दिवस सृजित हो पाए हैं यह लक्ष्य का 55% है।

बिहार में बेरोजगारी का दूसरा कारण निर्माण क्षेत्र की सुस्ती बालू की कमी कारण यह क्षेत्र लगातार साल भर से सुस्त चल रहा है, निजी निर्माण के अलावा सरकारी निर्माण भी प्रभावित हो रहा है, राज्य सरकार ने बालू के लिए नया पट्टा दिया है, बालू की उपलब्धता से असंगठित क्षेत्र के श्रमिकों को रोजगार के अवसर मिल सकते हैं, बालू के अलावा अन्य निर्माण सामग्रियों कीमतों में वृद्धि भी इस क्षेत्र में रोजगार के अवसरों को कम कर रही है।

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