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बिहार के जल संसाधन मंत्रालय में सचिव संजय कुमार अग्रवाल ने आईएएनएस को बताया कि बिहार की भौगोलिक स्थिति ऐसी है कि उत्तर बिहार के बड़े इलाके को हर साल बाढ़ का सामना करना पड़ता है और दक्षिण बिहार के कई जिलों को हर साल सूखे का सामना करना पड़ता है दक्षिण बिहार में कई जगह पर भूजल स्तर भी नीचे चला गया है धार्मिक और पर्यटन की दृष्टि से महत्वपूर्ण नालंदा, गया और बोधगया में हर साल लाखों देशी-विदेशी पर्यटक आते हैं, मगर इन शहरों में गर्मियों में पेयजल की कमी हो जाती है, इस परियोजना का उद्देश्य इन्हीं दक्षिण क्षेत्र और नालंदा, गया, नवादा जिलों में उपचारित गंगाजल की आपूर्ति करना है यही वजह है कि बिहार सरकार ने गंगा जलापूर्ति परियोजना को चरणबद्ध तरीके से बनाने का निर्णय लिया ताकि परियोजना से ना केवल घरों में पानी भेजकर इसकी कमी को पूरा किया जा सके बल्कि भूजल स्तर को फिर से जीवंत करने में भी मदद मिले।
हाथीदह पटना जिले के मोकामा शहर में एक जगह है जहां से परियोजना शुरू होती है यह गंगा नदी से पानी के स्रोत की एक इंटेक पंप हाउस बनाया गया है इस पंप हाउस की कुल क्षमता 19.4 क्यूमेक्स से पहले चरण में 5.450 क्यूमेक्स पानी छोड़ेगा इसमें तीन मोटर लगाई गई है जिसमें दो काम कर रही है और एक को स्टैंडबॉय के रूप में रखा गया है हाथीदह से राजगीर में बने डिटेंशन टैंक में 2.4 व्यास के पाइपलाइन नेटवर्क के माध्यम से पानी भेजा जाएगा और वहां से इसे गंगाजी राजगृह जलाश्य, घोड़ा कटोरा झील और 24 एमएलडी जल संशोधन वितरित किया जाएगा, इस पानी को उपचारित कर लोगों के घरों में भेजा जाएगा, गंगा नदी से पानी लाने के लिए कुल 151 किलोमीटर लंबाई वाली पाइप लाइन बिछाई गई है।
पहले चरण की शुरुआत नालंदा जिले के राजगीर से हो रही है इस शहर के 19 वार्डो के करीब 8031 घरों में पेयजल के लिए गंगा जल की आपूर्ति की जाएगी इस परियोजना के तहत प्रति व्यक्ति प्रतिदिन 135 लीटर शुद्ध जल की आपूर्ति का लक्ष्य रखा गया है आने वाले दिनों में 28 नवंबर यानि सोमवार को इसी चरण में बिहार के गया और बोधगया में इस परियोजना का लोकार्पण होगा और वही दूसरे चरण में जून 2023 तक नवादा में भी हर घर गंगाजल पहुंचाने का लक्ष्य है।