Regarding the protest against three agricultural laws, the Supreme Court’s strict remark, said you have paralyzed the whole city
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कुछ संतुलित दृष्टिकोण होना चाहिए, मीठी बातों से मनाने का व्यवसाय भी बंद होना चाहिए, जस्टिक एएम खानविलकर एवं जस्टिक सीटी रविकुमार की पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि क्या आपने प्रदर्शन को लेकर अपने-अपने क्षेत्रों के निवासियों से अनुमति ली है, क्या आपके प्रदर्शन से वह खुश हैं, शीर्ष अदालत कृषकों के संगठन किसान महापंचायत एवं उसके अध्यक्ष की ओर से दायर याचिका पर सुनवाई करने के दौरान उक्त बातें कही हैं।
पीठ ने याचिकाकर्ताओं से पूछा कि प्रदर्शन जारी रखने का क्या मतलब है, जब वह तीन कृषि कानूनों को चुनौती देने के लिए पहले से ही न्यायालय में अपना याचिका दायर कर चुके हैं, पीठ ने याचिकाकर्ताओं से कहा कि जब एक बार आपने अदालत का रुख कर लिया तो आप को न्यायिक व्यवस्था में भरोसा रखना चाहिए कि वह मामले में उचित तरीके से फैसला करेगी।
ऐसे में आप यह नहीं कह सकते हैं कि आप विरोध जारी रखेंगे, पीठ़ के द्वारा आगे कहा गया कि जब मुद्दा केवल तीन कानूनों को निरस्त करने का है तो सत्याग्रह करने का क्या मतलब है? आप रेल मार्ग व हाइवे को अवरुद्ध करते हैं, फिर आप कहते हैं कि आप का विरोध शांतिपूर्ण है, जनता को कोई नुकसान नहीं पहुंचा है।
जिस पर किसान संगठन ने कहा कि हाइवे को किसानों ने नहीं बल्कि पुलिस ने अवरूद्ध किया हुआ है, जिसके बाद पीठ ने हलफनामा दायर कर यह बताने को कहा है कि उस विरोध का हिस्सा नहीं है जो हो रहा है।
इस मामले की अगली सुनवाई अब 4 अक्टूबर को होगी, आपको बता दें कि कई किसान संगठन तीन केंद्रीय कृषि कानूनों का विरोध कर रहे थे, शुरुआती विरोध में यह पिछले वर्ष नवंबर में पंजाब से शुरू हुआ और बाद में मुख्य रूप से दिल्ली हरियाणा उत्तर प्रदेश में फैल गया जो वर्तमान समय तक जारी है।