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मुजफ्फरपुर निवासी सिया देवी ने कहा कि लगा था जान बचने मुश्किल है परिवार के 8 लोग फंसे हुए थे 24 घंटे बाद निकल पाए वही परिवार के अन्य लोग मंगलवार की सुबह 36 घंटे बाद निकले, बच्चों का बुरा हाल था, खिलाने के लिए कुछ भी पास नहीं था नाती का मुंडन कराने हम देवघर गए थे वहीं से त्रिकूट पहाड़ी घूमने का प्लान बना, सभी लोग पूजा कर दो ट्रॉली में निकले अचानक रस्सी टूटी तो लगा कि अब जान नहीं बचेगी, जवान देवदूत बनकर आए और हमें बचा ले गए।
ऐसा ही कुछ हाल अस्पताल में भर्ती पश्चिम बंगाल के दक्षिण दिनाजपुर निवासी सुधीर कुमार दत्तो ने बताया कि उम्मीद नहीं थी कि जान बच पाएगी ट्रॉली में भी तो एक-एक पल एक-एक दिन के बराबर लग रहा था 36 घंटे के बाद जवान ने जान बचाई, दमाद साथ में थे बहुत डर लग रहा था कि क्या होगा बस भगवान का शुक्रिया की जान बच गई।
वही असम के भूपेन बर्मन ने बताया कि वह दुमका कैंप में एसएसबी जवान है पत्नी के साथ देवघर घूमने के लिए आए थे इस दौरान वे त्रिकुट पहाड़ घूमने के लिए आये थे पत्नी 3 महीने की गर्भवती है उन्होंने बताया कि अचानक से चलते चलते रोप-वे की रस्सी टूट गई ऐसा लगा कि अब नहीं बचेंगे तभी ट्रॉली जाकर दूसरी ट्रॉली से टकरा गई, झटका इतना तेज था कि ट्रॉली का शीशा टूट गया पत्नी गेट के बगल में ही बैठी थी शीशा टूट कर लगने से उनके दो दांत टूट गए और चेहरे पर भी गंभीर चोट लगी है किसी तरह अन्य लोगों के सहारे पत्नी को नीचे भेजा गया जिसके बाद वो खुद भी कूद गए।
त्रिकूट पर्वत पर रोप-वे पर रविवार की शाम 4 बजे हादसा हो गया, हादसे के 45 घंटे बाद रेस्क्यू ऑपरेशन पूरा हो पाया रोप-वे की ट्रॉली में 48 लोग फंसे थे जिनमें से सिर्फ 46 को ही बचाया जा सका, हादसे में कुल चार लोगों की मौत हुई है और 12 से ज्यादा लोग घायल हैं रेस्क्यू के दूसरे दिन भी एक महिला ट्रॉली से गिर गई और उसकी मौत हो गई वहीं सोमवार को एक युवक की हेलीकॉप्टर में चढ़ाने के दौरान गिरने से मौत हो गई थी।