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वही विधायक फते बहादूर सिंह ने कहा कि वीडियो में पूरी बात सामने नहीं आई है, उन्होंने कहा कि दुर्गा एक मिथक है और मनुवादी विचार के लोगों ने अपने विचारों से इसे दबाने का प्रयास किया है, ब्राह्मणवादी लोग इसका विरोध कर रहे हैं और अंधविश्वास फैलाने और बहुजनों को बरगलाने का काम कर रहे हैं, महिषासूर बहुजनों का नायक है यह कैसे संभव है कि किसी महिला के दस हाथ हो विधायक ने दुर्गा के पति, माता पिता के बारे में पूछते हुए कहा कि जब जन्म औऱ मृत्यू का पता नहीं तो फिर यह कहानी पूरी तरह काल्पनिक है।
बहुजन समाज के लोगों को अंधविश्वास में झोंकने का प्रयास किया जा रहा है, वंचित समाज के लोगों ने शिक्षा और स्वाभिमान की लड़ाई लड़ी, मनुवादी वेद को सत्य मानते हैं लेकिन बहुजन समाज के वेदव्यास को सम्मान नहीं देते दुर्गा के हाथ में औजार हथियार दिखाए गए जबकि उस समय ये प्रचलित नहीं था, विधायक के इस वीडियो के वायरल होने के बाद बजरंग दल ने विरोध का एलान किया है, जिसके बाद शहर में सुरक्षा व्यवस्था बढ़ा दी गई है, तनाव न बढ़े इसके लिए प्रशासनिक और पुलिस अधिकारी लगातार गश्ती कर रहे हैं।
इससे पूर्व भी एक विवाद 2011 में सामने आया था जिसमे जेएनयू के एक छात्र संगठन ने महिषासूर दिवस मनाने का ऐलान किया, इस मामले में जेएनयू के एक छात्र के आवेदन पर फारवर्ड प्रेस नामक मैग्जीन के दफ्तर पर दिल्ली पुलिस ने छापेमारी भी की थी, छात्रों का आरोप था कि संबंधित मैग्जीन का संचालन एक ईसाई पादरी करता है, जिसका उद्देश्य समाज में वैमनस्व को बढ़ावा देकर धर्मांतरण के लिए प्रेरित करना है।