Home अरवल जिन्होंने रामचरितमानस का अपमान किया उनके सामने ही राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित होगा

जिन्होंने रामचरितमानस का अपमान किया उनके सामने ही राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित होगा

स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज

Bihar: अरवल जिले के करपी प्रखंड स्थित शहर तेलपा बाजार में श्रीराम जानकी व बजरंगबली मंदिर में नौ दिवसीय महायज्ञ में शनिवार को स्वामी श्री रामभद्राचार्य जी महाराज ने अपने प्रवचन में कहा कि मगध जब अंगड़ाई लेती है तो इतिहास बदलता है जिन्होंने रामचरितमानस का अपमान के उनके सामने ही जल्द यह राष्ट्रीय ग्रंथ घोषित होगा इसे राष्ट्रीय ग्रंथ बनने से कोई नहीं रोक सकता इससे राष्ट्र निर्माण की प्रेरणा मिलती है रामचरितमानस राष्ट्र के विकास का सूत्रधार है। ‌

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श्रद्धालु काफी संख्या में जुटे

रामचरितमानस के विभिन्न प्रसंगों का उल्लेख करते हुए भगवान श्री राम, भगवान लक्ष्मण, भरत, शत्रुघ्न के बाल रूप का जीवंत वर्णन किया, सुमित्रा माता का मायका और भगवान श्रीराम का क्षेत्र ननिहाल यही है इस पवित्र क्षेत्र की बहुत महत्व है, माता सुमित्रा ने भगवान लक्ष्मण को राम के सेवा में और शत्रुधन को भरत के सेवा में समर्पित किया था माता दयालु और कृपालु होती है, माता और पिता दोनों का स्थान उच्च है लेकिन माता का स्थान सबसे ऊपर है माता ही प्रथम गुरु होती है।

गुरु और गोविंद की तुलना करते हुए उन्होंने कहा कि गुरु का स्थान गोविंद से ऊपर होता है जब गुरु मिलते हैं तो मनुष्य का जीवन कृतार्थ हो जाता है स्त्री पुरुष दोनों ही गुरु हो सकते हैं, प्रथम सद्गुरु सीता थी नारी की निंदा कभी नहीं करनी चाहिए, मनुष्य की दृष्टि जब मिलती है तो दिव्य दृष्टि गुरुदेव देते हैं, गुरु के साथ जाने पर परमात्मा से मुलाकात होती है, रामचरितमानस में श्रेष्ठ पत्नी, पति, भाई, माता-पिता, श्रेष्ठ राजा समेत सभी का वर्णन किया गया है, रामचरितमानस लोगों को सामाजिक व्यवहार एवं समाज के प्रति उसकी जिम्मेवारी की व्याख्या करती है जिसे पढ़कर कोई भी व्यक्ति अपने भौतिक जीवन को सुखमय बना सकता है।

अपने प्रवचन में उन्होंने कहा कि संत कृपालु होते हैं देवता के समान होते है, गौमाता पूजनीय है जो माता के समान दूध पिलाती है राक्षस अपने लिए सब रख लेते हैं लेकिन देवता सब कुछ देने वाले होते हैं, भक्तों के इच्छा से अपने रूप में प्रकट होते हैं माता सुमित्रा भगवान श्रीराम को श्रेष्ठ धनुर्धर के रूप में देखना चाहती थी रावण के पुतले पर निशाना साधने के लिए प्रेरित करती थी, रावण जब विभीषण को छह लात मारो था तो विभीषण ने प्रतिज्ञा की थी कि मैं भगवान के छह चरणों की तलाश करूंगा और ऐसा किया, मानव जीवन सर्वश्रेष्ठ है और इस जीवन को सफल बनाने के लिए जरूरी है कि रामचरितमानस का पाठ युवा वर्ग भी करें, इस दौरान प्रवचन सुनने के लिए श्रद्धालु काफी संख्या में जुटे साथ ही श्रद्धालुओं के बीच महाप्रसाद का वितरण किया गया।

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