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वही आध्यात्म का जिक्र करते हुए कहा कि इस मार्ग पर चलने से परिवार के साथ देश का कल्याण होता है। गांवों में गुरु का होना आवश्यक है। गांव में गुरु रहेंगे जीवन आध्यात्म से जुड़ा रहेगा। उपस्थित भीड़ से गुरुदेव ने कहा कि हम आपसे दक्षिणा मांगेंगे तो आप दीजिएगा तो भीड़ से आवाज आई हां। गुरुदेव ने सभी से दक्षिणा में उनके जीवन का कष्ट मांगा। कहा कि आप हमें अपना कष्ट दे दें। उन्होंने कहा जब तक आप जाति से ऊपर नहीं उठेंगे विकास नहीं होगा। दो दशक पहले तक बिहार में जातीय तनाव एवं नरसंहार का जिक्र करते हुए गुरुदेव ने कहा कि पहले आने में डर लगता था। वर्ष 2006 के बाद बिहार का माहौल बदल गया है। अब तो यहां हर जगह विकास के काम दिखाई दे रहे हैं। नरसंहार का जिक्र करते हुए कहा कि मैंने वर्ष 2006 में हरिद्वार में प्रतिबंधित संगठन रणवीर सेना एवं भाकपा माले के बीच समझौता कराया था। दोनों को हरिद्वार में एक साथ बुलाया था।
दोनों में किसी को पता नहीं था। दोनों एक-दूसरे के सामने हुए तो आक्रोशित हो गए। फिर मैंने दोनों संगठन के नेताओं से बात की और समझौता कराया तब से आज तक बिहार में नरसंहार नहीं हुआ। जातीय विद्वेष समाप्त होने पर राज्य का विकास होगा। गुरुदेव ने कहा कि बिहार आध्यात्म की धरती रही है। यहां महात्मा बुद्ध को ज्ञान मिला था। नालंदा विश्वविद्यालय की ख्याति दूर तक थी। बिहार से ही आध्यात्म को अष्टावक्र गीता मिला। यह दुनिया का दुलर्भ ग्रंथ है। यहां के युवकों में चाणक्य छिपे हैं जिसे बाहर निकालने की जरूरत है। धर्म का मूल उद्देश्य युवाओं को सही मार्ग प्रदान करना है। मगध जैसा साम्राज्य दुनिया में नहीं हुआ। कुछ वर्ष पहले तक महापर्व छठ बिहार तक सिमटा था। अब यह विश्व क्षितिज पर छा गया है। अमेरिका से लेकर ब्रिटेन में छठ होता है। देश के हर कोने में छठ मनाया जाता है। कर्नाटक के बंगलोर में भी मैं अपने आश्रम में छठ पूजा की व्यवस्था करता हूं। छठ का प्रसाद ठेकुआ लोकप्रिय है। बिहारी जहां भी रहते हैं गर्व से छठ पूजा करते हैं।