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यह बात सबको पता है कि यही एकमात्र मामला है जिसको पांच मामला मानकर सुनवाई हो रहा है इसलिए सजा मिलना प्रत्याशित ही था। शिवानंद तिवारी ने 2015 के विधानसभा चुनाव का जिक्र करते हुए कहा कि हमारे देश में भ्रष्टाचार के खिलाफ कार्रवाई होने या नहीं होने के पीछे भी राजनीतिक मकसद होता है, नीतीश कुमार का उस समय महागठबंधन के मुख्यमंत्री के उम्मीदवार के रूप में अभियान चल रहा था।
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भाजपा की ओर से प्रचार की कमान प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हाथ में थी, गोपालगंज और मुजफ्फरपुर की चुनावी सभा में उन्होंने नीतीश कुमार की सरकार के खिलाफ भ्रष्टाचार और घोटाले के 22 आरोप गिनाए थे, शिवानंद ने पूछा कि उन आरोपों का क्या हुआ, कहीं वे आरोप नीतीश कुमार के पाला बदलकर प्रधानमंत्री वाले गठबंधन में चले जाने का कारण तो नहीं बने।
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शिवानंद ने कहा कि विडंबना देखिऐ, जिस प्रधानमंत्री ने नीतीश कुमार पर भ्रष्टाचार और घोटालों का आरोप लगाया था वही आज उन्हें सच्चा समाजवादी का प्रमाणपत्र दे रहे हैं, और जिस नीतीश कुमार ने कभी कहा था कि जिस आदमी का नाम लेने से अल्पसंख्यकों के मन में भय हो जाता है मैं उससे हाथ नहीं मिलाऊंगा। वहीं नीतीश कुमार आज नरेंद्र मोदी से सच्चे समाजवादी का प्रमाण पत्र उनकी कृपा मानकर ग्रहण कर रहे हैं,और नीतीश कुमार फूले नहीं समा रहे हैं।
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