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उस समय शीतला मंदिर के पुजारी झमेली बाबा को मां देवी सपने में आकर उनकी पूजा आराधना की बात कही थी चमेली बाबा ने उस समय 9 दिनों तक देवी मां की आराधना की और डाली पूजा खप्पड़ पूजा निकाला, इस पूजा के आयोजन से फुलवारी शरीफ से महामारी दूर हो गई और यहां खुशहाली छा गई, ऐसी मान्यता है कि तब से आज तक शीतला मंदिर में प्रत्येक वर्ष सावन महीने में देवी माता की खप्पड़ पूजा निकाली जाती है।
मंदिर के महासचिव देवेंद्र प्रसाद ने बताया कि शीतला माता मंदिर से निकलती है पूरा नगर की एक परिक्रमा करने के बाद वापस मंदिर में स्थापित कर दी जाती है बताया जाता है कि इस अनोखी पूजा में मंदिर के भगत हाथ में एक खप्पड़ में आग लेकर सबसे आगे दौड़ते हैं भक्तजन भगत के पीछे-पीछे देवी मां की जयकारा लगाते हुए पूरे नगर की परिक्रमा करते हैं, पूजा को लेकर प्रशासन की तरफ से सुरक्षा के कड़े इंतजाम किए गए थे नगर के चारों तरफ साफ सफाई सहित रोशनी की व्यवस्था की गई थी बिजली विभाग की तरफ से जर्जर तारों को दुरुस्त किया गया था ताकि कोई अप्रिय घटना ना हो सके।