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दरअसल नालंदा जिले के सिलाव थाना क्षेत्र अंतर्गत मुरगावां गांव में जहां जमीदार कामेश्वर सिंह की पत्नी रामसखी देवी ने सिलाव थाना में अपने कथित बेटे के खिलाफ एक मामला दर्ज कराया था, दरअसल कामेश्वर सिंह की करोड़ों की संपत्ति का एकलौता वारिस कन्हैया 1975 में चंडी में मैट्रिक परीक्षा के दौरान गायब हो गया था, गायब होने के 4 साल बाद नालंदा के हिलसा के केशोपुर में एक जोगी आया था जिसने लोगों को संकेत दिया कि वह कामेश्वर सिंह का पुत्र कन्हैया है।
कुछ लोगों के समझाने पर पुत्र वियोग से परेशान पिता के द्वारा उसे अपने साथ घर ले जाया गया और अचानक गायब होने की बात पर उसने सभी को यह बतलाया कि गांव के कुछ लोग उसकी हत्या करना चाहते थे इसी वजह से वह भाग गया था लेकिन कामेश्वर सिंह की पत्नी रामसखी देवी ने उसे अपने बेटा मानने से इनकार कर दिया और उसके खिलाफ प्राथमिकी दर्ज करा दी।
मामला दर्ज होने के 41 साल बाद कोर्ट ने उसे दयानंद गोसाई करार दिया है दयानंद गोसाई खुद को सिलाव थाना क्षेत्र के मुरगावां गांव निवासी जमींदार स्वर्गीय कामेश्वर सिंह का पुत्र कन्हैया बता रहा था और अरबों की संपत्ति इसका वारिस बन गया था, अदालत ने दयानंद को धारा 419 में 3 वर्ष की सजा व 10,000 जुर्माना, धारा 420 में 3 वर्ष की सजा व जुर्माना और धारा 120 बी के तहत छह माह की सजा सुनाई गई है, यह तीनों सजाएं एक साथ चलेंगी जुर्माने की राशि का भुगतान नहीं करने पर 6 माह अतिरिक्त कारावास की सजा होगी।
वही 1975 से लापता असली कन्हैया का अभी तक कोई पता नहीं चल सका है अभियोजन अधिकारी डॉ राजेश कुमार पाठक ने बताया कि प्रभु गोस्वामी के पुत्र दयानंद गोस्वामी जमुई जिले के लक्ष्मीपुर थाना अंतर्गत लखैया गांव का रहने वाला है, 1981 में वह कामेश्वर सिंह के घर मुरगावां में सन्यासी बन कर पहुंचा और खुद को उनका पुत्र बताने लगा षड्यंत्र के तहत दयानंद गोसाईं ने अपने कुछ साथियों के साथ मिलकर जमींदार की संपत्ति पर कब्जा जमा लिया था जज मानवेंद्र मिश्रा के समक्ष सात गवाहों की गवाही गुजरी जिसके बाद न्यायाधीश ने दयानंद गोस्वामी को नकली कन्हैया करार दे दिया, आरोपी को 3-3 साल की सजा और 10 हजार का जुर्माना भी लगाया गया है।