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सबसे प्रभावित जिलों में बक्सर, भोजपुर और भागलपुर हैं, जहां के पानी में आर्सेनिक की मात्रा काफी संख्या में मौजूद है इसके अलावा गंगा के तट में बसे लोगों में आर्सेनिक की मात्रा भी काफी ज्यादा पाई गई, जिसमें पटना, सारण, वैशाली, समस्तीपुर, गोपालगंज, पश्चिम चंपारण, मुजफ्फरपुर, सीतामढ़ी, मधुबनी, सुपौल, अररिया, किशनगंज, कटिहार, मुंगेर, मधेपुरा शामिल है, इन इलाकों से गोल ब्लैडर कैंसर के मरीज प्रति वर्ष तीन से चार हजार की संख्या में महावीर कैंसर संस्थान में इलाज के लिए आ रहे हैं, शोध के क्रम में 15 वर्ष से 70 वर्ष के लोगों के ब्लड और टीटू का सैंपल एकत्रित किया गया और उस पर शोध किया गया, परिणाम काफी भयावह देखने को मिल रहे हैं।
4600 हैंड पंप के पानी के सैंपल की जांच की गई इसके अलावा 30% सोर्स से यह पता चला कि इन इलाकों के पानी में आर्सेनिक की मात्रा डब्ल्यूएचओ के मानक से भी कई गुना ज्यादा है, गोल ब्लैडर कैंसर मरीजों में सबसे ज्यादा संख्या महिलाओं में देखी गई है, इसमें 16.9% महिलाएं और 8.3 प्रतिशत पुरुष गोल ब्लैडर कैंसर से प्रभावित होकर महावीर कैंसर संस्थान में इलाज के लिए पहुंच रहे हैं, आर्सेनिक एक मीठा जहर है इसके बारे में पता लगाना काफी मुश्किल होता है, ऐसे पानी की जांच कराने का भी सुझाव दिया है।