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सर्पदंश से पीड़ित छात्रा की झाड़-फूंक के दौरान मौत, इलाज के बजाय अंधविश्वास पर भरोसा पड़ा भारी

करजी गांव निवासी परदेसी राम की 14 वर्षीय पुत्री अपने घर के कमरे में सोई हुई थी। इसी दौरान उसे एक जहरीले सांप ने काट लिया।

सर्पदंश से छात्रा की मौत

कैमूर (बिहार): 21वीं सदी में भी शिक्षा और जागरूकता की कमी के कारण लोग अंधविश्वास के जाल में फंसे हुए हैं। आधुनिक चिकित्सा सुविधाओं के बावजूद ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी लोग सर्पदंश या गंभीर बीमारियों में इलाज की बजाय झाड़-फूंक पर भरोसा करते हैं, जिसका खामियाजा कई बार जान देकर चुकाना पड़ता है। इसी कड़ी में कैमूर जिले के चैनपुर थाना क्षेत्र के करजी गांव में एक छात्रा की मौत हो गई।

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क्या है मामला?

शनिवार तड़के करजी गांव निवासी परदेसी राम की 14 वर्षीय पुत्री राधिका कुमारी अपने घर के कमरे में सोई हुई थी। इसी दौरान उसे एक जहरीले सांप ने काट लिया। छात्रा ने पहले किसी को इसकी जानकारी नहीं दी। सुबह करीब 6 बजे जब उसने अपने परिजनों को घटना बताई तो परिजन उसे अस्पताल ले जाने के बजाय झाड़-फूंक कराने के लिए लेकर चले गए।

झाड़-फूंक से कोई फायदा नहीं हुआ और छात्रा की हालत बिगड़ती चली गई। अंततः उसकी मौत हो गई। इसके बाद परिजन लगभग दोपहर 2 बजे छात्रा को चैनपुर सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र लेकर पहुंचे, जहां डॉक्टरों ने उसे मृत घोषित कर दिया।

परिजनों का रो-रो कर बुरा हाल

घटना के बाद मृतका के घर में मातम का माहौल है। परिजन रो-रोकर बदहवास हैं। ग्रामीण भी इस घटना से स्तब्ध हैं कि इलाज के बजाय अंधविश्वास पर भरोसा करने से एक मासूम की जान चली गई।

अंधविश्वास बना समाज का नासूर

इस घटना ने एक बार फिर यह सवाल खड़ा कर दिया है कि जब विज्ञान और तकनीक चांद तक पहुंच चुकी है, तब भी ग्रामीण इलाकों में लोग अंधविश्वास के शिकंजे में क्यों जकड़े हुए हैं। जागरूकता की कमी और शिक्षा का अभाव इस तरह की मौतों की बड़ी वजह है।

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