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बताया जा रहा है कि घर छोड़कर प्रेमी के साथ भागी स्वीटी कुमारी के भाई बिहारी गुप्ता के पिता की मौत उस समय हो गई जब 8 साल के थे घर में अकेले ही थे जो घर की गाड़ी खींच सकता था उस समय वह पंजाब चले गए मजदूरी करने लगे खुद अनपढ़ रहकर अपनी बहन को इंटर तक पढ़ाया जब शादी की उम्र हुई तो लड़का दिखाने के लिए अपनी बहन को ले गए और दान दहेज़ अपनी शक्ति के अनुसार दिया उसकी स्वीकृति के बाद ही सब तैयारी में लग गए।
युवती से पूछा भी गया कि उसकी जिंदगी में कोई और है तो बोल उससे उसकी शादी करा देंगे स्वीटी हमेशा नकारती रही, स्वीटी ने स्वयं अपनी शादी की खरीदारी भी की, शादी के सभी रस्मों में खुशी-खुशी शामिल हुई और जब शादी का दिन आया तब शादी की पूर्व संध्या एक लड़के के साथ फरार हो गई जिसके बाद समाज के ताने सहित कई तरह की चर्चाएं होने लगी जिसके बाद स्वजनों ने निर्णय लिया कि इस तरह की लगातार हो रही घटनाओं को रोकने का बस यही तरीका है कि ऐसे बच्चों का अंतिम-संस्कार कर दिया जाए, ताकि आगे ऐसी घटनाओं पर रोक लग सके।
स्वजन स्वीटी के कृत्य से इतने आहत हुए कि उन्होंने निर्णय लिया कि अब वे स्वीटी से कोई रिश्ता नहीं रखेंगे, वह उनके लिए सदा के लिए मर चुकी है मौके पर अर्थी सजाई गई, उसपर स्वीटी का पुतला बनाकर रखा गया तथा चार कंघों पर लेकर उसके स्वजन टीकापट्टी कोसी धार स्थित श्मशान घाट के किनारे पहुंचे एकलौते भाई बिहारी ने उतरी पहनी तथा स्वजनों के साथ चिता सजाकर अपनी बहन को मुखाग्नि दी इतना ही नहीं उसने अपनी बहन के याद की हर चीज को चिता पर रख दिया।