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पीके का विवादित बयान बिहार के नेता खुद अनपढ़ है जनता को भी अनपढ़ बना रहे हैं

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Bihar: चुनावी रणनीतिकार प्रशांत किशोर ने गुरुवार को जनसुराज अभियान 61वें दिन पूर्वी चंपारण के आदापुर प्रखंड स्थित जनसुराज पदयात्रा शिविर में कहा कि बिहार के नेता खुद अनपढ़ है और जनता को भी अनपढ़ बना रहे हैं इनका सारा फोकस स्कूल में खिचड़ी बांटने पर ही है, प्रशांत किशोर ने मौजूदा हालात के लिए बिहार दशको से सत्ता पर काबिज नेताओं पर निशाना साधा और कहा कि बिहार के नेता और जनता आज भी 1960 में जी रही है नेता खुद भी अनपढ़ और पूरे समाज को अनपढ़ बना रहे हैं, समाजवाद का ढोंग करने वाले लोगों को समाजवाद के नाम पर गरीबी और अशिक्षा को बांटा है बिहार के स्कूलों में सिर्फ खिचड़ी बाटी जाती है।

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प्रशांत किशोर ने इस तरह के विवादित बयान के बाद कहा कि पूरी व्यवस्था लॉ एंड ऑर्डर शराबबंदी तक की सीमित रह गई है सरकार असफल रही 50 साल पहले भी लोग आवास और अनाज मांग रहे थे और आज भी लोग आवास और आंगन आज मांग रहे हैं, यहां के सरकारों ने पूरे समाज को अशिक्षित बनाकर समतामूलक राज्य बना दिया है ‌बिहार की दशा को बताती है, उन्होंने कहा कि अगर आप सही नेता का चयन नहीं कर सकते तो आज भी दिशा में उस दिशा में जीवन भर रहना पड़ेगा कुर्ते के ऊपर बनियान पहने वालों को भी बिहार के लोग जमीनी नेता मान रहे हैं जिसे बदलने की जरूरत है बिहार तब सुधरेगा जब बिहार में 4-5 हजार अच्छे लोग मुखिया बनेंगे, क्योंकि एक व्यक्ति एक दल के जीतने से बिहार नहीं सुधरेगा, नीतीश कुमार के पूरे 17 साल के कार्यकाल की सबसे बड़ी नाकामी शिक्षा व्यवस्था का ध्वस्त हो जाना। ‌

यहां पर लोगों ने एक रीति बना दी है कि जो लोग कुर्ता पर गंजी पहन लेंगे, लोग उसी को जमीनी नेता मानने लगते है अगर बिहार का नेता है तो उसको बोलने, बैठने, कपड़ा पहनने का ढंग नहीं होना चाहिए, उसको देश दुनिया की जानकारी नहीं होनी चाहिए ऐसे लोगों को हम जमीनी नेता मान लेते हैं, बिहार का एक तिहाई किसान सब्जी उगाने लगे तो बिहार पूरे देश को सब्जी आपूर्ति कर सकता है कोल्ड स्टोरेज को हम केवल आलू रखने का घर समझते हैं, कोल्ड स्टोरेज में हम सब्जी, फल सब रख सकते हैं क्योंकि हमने आलू से आगे कभी देख ही नहीं आलू और बालू से आगे बिहार निकला ही नहीं, तीसरा नाम मैं लेना नहीं चाहता हूं।

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