Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
बिहार की राजनीति में प्रशांत किशोर मंझे हुए खिलाड़ी की तरह दो गुटों के बीच विरोधाभास पैदा कर रहे हैं मूल रूप से प्रशांत किशोर के निशाने पर महागठबंधन के आरजेडी और जदयू है, इन दोनों के ऊपर बिहार को ठगने का आरोप लगा रहे हैं आरजेडी को निशाने पर लेते हुए उन्होंने अल्पसंख्यकों के तुष्टीकरण का आरोप लगाया है।
प्रशांत किशोर का कहना है कि महागठबंधन अभी बना है जब नीतीश कुमार भाजपा के साथ है तो भाजपा के दो उपमुख्यमंत्री थे, एमएलए 75 थे, राजद के पास 77 विधायक हैं फिर भी दूसरा मुख्यमंत्री नहीं बना, अपनी पदयात्रा के दौरान आमसभा को संबोधित करते हुए उन्होंने कहा कि पूरे बिहार की पदयात्रा के बगैर नहीं मानेंगे नेता घबरा रहे हैं पुलिस वाले रिपोर्ट भेज रहे होंगे कि 200-300 आदमी के साथ लेकर चल रहे हैं अभी जो देख रहे हैं उनको लग रहा है कि पार्टी बनी नहीं है गांधी मैदान में रैली नहीं हुई है वोट नहीं मांग रहे हैं तो घबराहट किस बात का।
पार्टी बनेगी या नहीं 12 नवंबर को प्रशांत किशोर बेतिया में अधिवेशन करेंगे जहां निर्णय लिया जाएगा कि जनसुराज अभियान को राजनीतिक दल का रूप दिया जाए या नहीं 12 नवंबर को जन सुराज अभियान के पश्चिम चंपारण जिले का अधिवेशन बेतिया में होगा जहां जिले के सभी लोग जनसुराज अभियान से जुड़े हैं उपस्थित रहेंगे।
प्रशांत किशोर का कहना है कि अगर दल बनता है तब उनके संविधान में क्या-क्या होना चाहिए इसका सुझाव लोग दे रहे हैं लोगों का सुझाव दिया गया है कि अगर दल बनता है तो 10% टिकट पंचायती राजव्यवस्था से जुड़े लोगों को दिया जाए और एक सुझाव यह है कि यह संविधान में लिख दिया जाए कि दल में किसी को 2 टर्न से ज्यादा मौका नहीं मिले ताकि लोगों को अवसर मिलता रहे, पीके की जनसुराज के तहत पदयात्रा को 33 दिन हो गए हैं अभी उनकी यात्रा पश्चिमी चंपारण में चल रही है, प्रशांत किशोर ने बताया कि लोग अलग-अलग सुझाव दे रहे हैं मगर अभी चिंता करने की जरूरत नहीं है यह सब जनमत के माध्यम से तय होगा जब पार्टी बनाने का फैसला होगा राज्य स्तर पर सम्मेलन में इस बातों को सबके बीच रखा जाएगा।