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दरअसल सारा मामला सत्र 2012-15 के स्नातक के छात्रों के पंजीयन से जुड़ा हुआ है उसमें वीरेंद्र यादव विश्वविद्यालय के छात्र कल्याण विभाग के अध्यक्ष थे, उस समय सत्र 2012-15 कि स्नातक की पढ़ाई के लिए 678 सीट स्वीकृत की गई थी आरोप है कि उनकी देखरेख में 1723 छात्रों का पंजीयन कर दिया गया उस सत्र में कुल 2370 छात्रों ने परीक्षा दी थी, इसमें सैकड़ों छात्र अवैध रूप से शामिल कराए गए थे।
इसी मामले में निगरानी अन्वेषण ब्यूरो ने वर्ष 2017 में मामला दर्ज किया था हालांकि शुरू में निगरानी ने जांच में सुस्ती दिखाई लेकिन हाईकोर्ट के हस्तक्षेप के बाद निगरानी ने जांच तेज कर दी और हाईकोर्ट के सख्त रुख को देखते हुए निगरानी की टीम ने एमएलसी वीरेंद्र यादव सहित पांच के खिलाफ निगरानी कोर्ट में चार्जशीट दाखिल की है।