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Apart from fulfillment of wishes, Chhath Puja is also done for getting children, know who is the sixth Maya
Mahaparv Chhath has started in Bihar, after taking bath on Monday, Kharna Puja was done on Tuesday, on Wednesday after offering Argha to the setting sun and rising sun after sunrise on Thursday, the Mahaparv will end on this festival. The meaning behind calling Chhath is Chhath to six i.e. creation, due to being celebrated 6 days after the new moon of Kartik month, this festival is called Chhath, this festival is celebrated after 6 days of Deepawali i.e. on Kartik Shukla. Hence, it is called Chhath.
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इस महापर्व में व्रति 36 घंटे से ज्यादा निर्जला उपवास करती हैं, इस पूजा में साफ सफाई का बेहद ध्यान रखा जाता है, इसमें गलती की कोई गुंजाइश भी नहीं होती यही वजह है की इसे महापर्व और महाव्रत भी कहा जाता है, प्रकृति की इस पूजा में लोग सच्चे मन से उपासना करते हैं।
In this great festival, the fasting fast for more than 36 hours, cleanliness is taken care of very much in this worship, there is no scope for mistake in it, that is why it is also called Mahaparva and Mahavrat, this worship of nature People worship with a sincere heart.
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छठ पूजा के बारे में एक लोकप्रिय किंवदंती है कि छठ देवी सूर्य देवी की बहन है, छठ पर्व पर प्रकृति के सभी अवयवों जल, वायु, अग्नि और मिट्टी को साक्षी मानकर उनकी पूजा की जाती है, इन सब चीजों की महत्ता को मानकर ही भगवान भास्कर की पूजा की जाती है, यही वजह है की छठ पर्व को जल यानी किसी नदी में पैरों तक पानी में खड़े होकर सुप पर प्रसाद के साथ अग्नि यानि दीपक के साथ उनकी आराधना की जाती है, छठ पूजा में बहते पानी वाली नदी में पूजा करने का महत्व है।
There is a popular legend about Chhath Puja that Chhath Devi is the sister of Surya Devi, on Chhath festival all the components of nature water, air, fire and soil are worshiped as witnesses, considering the importance of all these things, God Bhaskar is worshiped, this is the reason why Chhath festival is worshiped with water i.e. standing in water up to the feet in a river, with offerings on sup, i.e. with a lamp, worship in a river with flowing water in Chhath Puja. importance of doing.
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मार्कण्डेय पुराण में भी इस बात का उल्लेख है की सृष्टि की अधिष्ठात्री प्रकृति देवी ने अपने आप को छह भागों विभाजित किया है उनके छठे अंश को सर्वश्रेष्ठ मातृ देवी के रूप में माना जाता है, जो ब्रह्मा की मानस पुत्री है इन्हें छठ देवी भी कहा जाता है, कहा जाता है की षष्ठी माता यानि छठ माई को बच्चे बहुत प्रिय है इसलिए व्रति उनसे संतान प्राप्ति की कामना करती हैं, साथ ही व्रति छठ मैया से बच्चों की लंबी आयु और समृद्धि की भी कामना करती हैं, छठ मैया को बच्चों की रक्षा करने वाली देवी कहा जाता है, वह संतान को आरोग्य, निरोग और वैभव प्रदान करने वाली देवी है।
It is also mentioned in the Markandeya Purana that Prakriti Devi, the presiding deity of creation, has divided herself into six parts, her sixth part is considered as the best mother goddess, who is the Manas daughter of Brahma. She is also called Chhath Devi. It is said that children are very dear to Shashti Mata i.e. Chhath Mai, so fasting wishes to get children from them, as well as Vrati wishes for long life and prosperity of children from Chhath Maiya, Chhath Maiya is considered to protect children. She is said to be the goddess of doing, she is the goddess who bestows health, well being and splendor to the children.
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