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आजादी के 75 साल बाद भी राजनीतिक, आर्थिक, सामाजिक और सांस्कृतिक रूप से बहुजन मरहूम है, वर्तमान केंद्र सरकार की दमनकारी नीति के कारण 90% आबादी को मात्र 49.5% आरक्षण प्राप्त है जबकि 10% आबादी वाले को 50.5 फ़ीसदी आरक्षण है जो संविधान को करारा तमाचा है।
पार्टी के अध्यक्ष अनिल कुमार ने कहा कि शोषित और दलितों की सही लड़ाई जनतांत्रिक विकास पार्टी ही लड़ रही है और देश के अंतिम पायदान पर रहने वाले शोषित, वंचितों का हक दिलाने का काम करती रहेगी, बाबासाहेब और वल्लभ भाई पटेल के सपने को साकार करने के लिए पार्टी कृत संकल्पित है, बहुजनों के आरक्षण की कोई हकमारी नहीं कर सकता जातिगत जनगणना देश के विकास के हित में है।
पार्टी के राष्ट्रीय सचिव डॉ रंजन कुमार ने कहा कि बाबासाहेब आंबेडकर ने भारतीय संविधान में बहुजनों के आवाज को रेखांकित किया है, केंद्र सरकार ने सरकारी उपक्रमों का निजीकरण कर और अगड़ी जातियों को आरक्षण देकर शोषित और दलितों की हकमारी की है, बहुजन भाई-बहन अपने हक पाने के लिए घर से निकल कर सड़क पर लड़ाई लड़े, केंद्र सरकार बहुजनों की आवाज को दबाने पर आमदा है दलितों को वास्तविक आरक्षण चाहिए ताकि बाबा साहब द्वारा प्रदान किए गए अधिकार मिल सके, समाज के वंचित समाज को एक समान धारा में लाने का एकमात्र माध्यम आरक्षण ही है और आरक्षण पाने के लिए हमें लंबी लड़ाई लड़ने के लिए तैयार रहना होगा।
पार्टी द्वारा सम्मेलन में राजनीतिक प्रस्ताव लाया गया जिसमें शोषितों, वंचितों को उनका 100 प्रतिशत हक मिलना चाहिए, देश में आबादी के अनुपात में आरक्षण लागू करना चाहिए, ओबीसी, एससी एवं एसटी को 90% आरक्षण दिया जाए, ईडब्ल्यूएस की प्रथा समाप्त की जाए, सर्वोच्च न्यायालय और उच्च न्यायालय में न्यायाधीशों की नियुक्ति के आरक्षण के प्रावधान को मजबूती से लागू करना चाहिए और केन्द्र और राज्य सरकारों के उच्च पदों पर पदाधिकारियों के प्रोन्नति में आरक्षण का प्रावधान होना चाहिए, गरीब दलित, आदिवासी भूमिहीन परिवार को तीन डिसमिल जमीन का प्रावधान होना चाहिए।