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मनुष्य की भावना, सिद्धांत, भाषा सब अलग-अलग हैं। यहां आए लोग विभिन्न पथ को मानने वाले हैं और खुशी के साथ आए हैं, अच्छी भावना के साथ आए हैं। इसलिए मैं कहता हूं कि बचपन में जो मां से सीख मिलती है, उसे सहेज कर रखना चाहिए। उस सीख में जाति, धर्म, वर्ण, ऊंच-नीच का भाव होता है। धर्मगुरु को आयोजन समिति की ओर से मंडल समर्पित किया गया। इसके अलावा धर्मगुरु को बौद्ध प्रतिमा आदि श्रद्धालुओं ने भेंट किया। धर्मगुरु के समक्ष हिमालय क्षेत्र से आए हुए कलाकारों ने देवी देवताओं को समर्पित मुखौटा नृत्य प्रस्तुत किए। चार दिवसीय इस कार्यक्रम में हुए खर्च का ब्यौरा आयोजन समिति द्वारा सार्वजनिक किया गया। जिसमें समिति को विभिन्न स्रोतों से 1 करोड़ 89 लाख 72 हजार 463 रुपए प्राप्त हुए।
जबकि 3 करोड़ 25 लाख 76 हजार 720 रुपए से अधिक का व्यय हुआ। बता दे कि दलाई लामा का बोधगया में आगमन 15 दिसंबर को हुआ था। 20 दिसंबर को वे इंटरनेशनल संघ फोरम द्वारा आयोजित तीन दिवसीय संगोष्ठी का उद्घाटन किया और 23 दिसंबर को महाबोधि मंदिर में विश्व शांति प्रार्थना सभा में शामिल हुए। 29 से 31 दिसंबर तक कालचक्र मैदान पर श्रद्धालुओं के बीच नागार्जुन और मंजूश्री का उपदेश दिया। इस कार्यक्रम में देश के विभिन्न राज्यों के अलावा थाईलैंड, कंबोडिया,कोरिया, नेपाल, जर्मनी, अमेरिका, जापान, ऑस्ट्रेलिया, वियतनाम, ताइवान, मंगोलिया सहित अन्य देशों के बौद्ध लामा और श्रद्धालु शामिल हुए। दलाई लामा के संबोधन को हिंदी अंग्रेजी सहित कल 16 भाषाओं में अनुवादित कर एफएम बैंड के माध्यम से प्रसारित किया जा रहा था।