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साथ ही कार्यालय में मौजूद संगठन कार्यकर्ता समीम अब्दुल्ला, मु. इस्माइल व कार्यालय की देखरेख करने वाले हजरत अली से गहन पूछताछ की, बताते चलें कि जुलाई माह में पटना के फुलवारी शरीफ स्थित पीएफआई संगठन कार्यालय में छापेमारी के बाद यह तथ्य सामने आया था कि पूर्णिया को मुख्य केंद्र बनाकर संगठन द्वारा सीमांचल और कोशी सहित बंगाल के सीमावर्ती इलाकों में अपनी गतिविधियों का विस्तार किया जा रहा है इसमें कई सदस्य को नामजद किया गया था उस समय से ही पूर्णिया स्थित पीएफआई कार्यालय में भी छापेमारी की आशंका जताई जा रही थी।
छापेमारी की सूचना मिलते ही कार्यालय के आसपास लोगों का जमावड़ा लग गया था इसकी सूचना पूरे शहर में जंगल की आग की तरह फैल गई इस दौरान संगठन के सदस्य और समर्थक बेचैन नजर आए और उन्होंने टीम के निकलते ही मीडिया पर अपनी खीझ निकाली, समर्थकों को ऐसा लगता था कि मीडिया के कारण कार्यालय में छापेमारी हो गई है इसके अलावा कुछ समर्थक केंद्रीय गृह मंत्री के पूर्णिया दौरे को लेकर हुई कार्रवाई बताने की कोशिश कर रहे थे, हालांकि पुलिस के तल्ख रुख को देखते हुए कोई भी आगे आने से गुरेज करता रहा।