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किऊल नदी तट पर खेत की खोदाई के दौरान भगवान बुद्ध की मिली 2 प्रतिमाएं

Bihar: लखीसराय जिले के कबैया क्षेत्र में खेत की खोदाई के दौरान भगवान बुद्ध की दो प्रतिमाएँ मिलीं है। वही दोनों  प्रतिमाएँ काले पत्थर से बनीं हुई है, जो पाल काल का प्रतिनिधित्व करती हैं। दोनों प्रतिमाओं का आकार व स्वरूप एकसमान है, जो करीब तीन फीट लंबी एवं सवा दो फीट चौड़ी हैं। जिसमे भगवान बुद्ध ललितासन में धम्मचक्र प्रवर्तन की उपदेश मुद्रा में हैं। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए स्थानीय लोगों ने बताया की वार्ड-32 कबैया मोहल्ला से सटे किऊल नदी तट किनारे विनायक कुमार बिट्टू के खेत में जेसीबी की सहायता से मिट्टी निकाली जा रही थी।

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NS Newsइसी दौरान भगवान बुद्ध की दोनों प्रतिमाएँ मिलीं। एक प्रतिमा में भगवान बुद्ध का एक हाथ क्षतिग्रस्त है। जिस जगह पर प्रतिमा मिली हैं, उस जगह से राजकीय पुरास्थल लाली पहाड़ी काफी नजदीक है। यह पहाड़ी बौद्ध बिहार के रूप में चिह्नित है। वही इसकी सूचना मिलते ही तत्काल कबैया थानाध्यक्ष अमित कुमार वंहा पहुंच दोनों प्रतिमा को हसनपुर गांव स्थित ठाकुरबाड़ी में सुरक्षित रखवा दिया। लखीसराय संग्रहालय अध्यक्ष डा. सुधीर कुमार यादव ने बताया कि खोदाई में मिली दोनों प्रतिमा में भगवान बुद्ध धम्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा में हैं। दोनों प्रतिमा को ठाकुरबाड़ी से संग्रहालय लाया जाएगा। इसके लिए अनुमंडल पदाधिकारी से बात हुई है।

वही भागलपुर के पूर्व संग्रहालय अध्यक्ष एवं मूर्ति विशेषज्ञ ओपी पांडेय ने बताय की यह दोनों प्रतिमा पाल शासक देवपाल (लगभग नौवीं-दसवीं सदी) के समय की प्रतीत हो रही हैं। बुद्ध की ललितासन में धम्मचक्र प्रवर्तन की उपदेश मुद्रा, पैरों के पास कमल और सिर पर उष्णीष इनकी विशेषता है। धम्मचक्र प्रवर्तन मुद्रा भगवान बुद्ध का सारनाथ में दिए पहले उपदेश का प्रतीक रूप है। इसमें दोनों हाथों को वक्ष के सामने रखा जाता है, बाएं हाथ का हिस्सा अंदर की ओर और दाएं हाथ का हिस्सा बाहर की ओर रहता है। दोनों हाथों का अंगूठा और तर्जनी एक वृत्त बनाने के लिए स्पर्श करते हैं, जो धम्म चक्र का प्रतीक है।

 

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