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अनंत चतुर्दशी 2025 : पूजन विधि, शुभ मुहूर्त एवं कथा व पौराणिक मान्यता

अनंत चतुर्दशी 2025

भक्ति और भाग्योदय: भारत में प्रत्येक व्रत और पर्व का अपना विशेष महत्व है। इन्हीं में से एक महत्वपूर्ण पर्व है अनंत चतुर्दशी। भाद्रपद मास के शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी तिथि को यह व्रत रखा जाता है। यह दिन गणेश भक्तों और विष्णु भक्तों दोनों के लिए अत्यंत विशेष होता है क्योंकि इस दिन भगवान गणेश का विसर्जन भी होता है और साथ ही भगवान विष्णु के अनंत रूप की पूजा का विधान है।

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भगवान विष्णु

शुभ मुहूर्त

शुभ चौघड़िया सुबह में 7 बजकर 36 मिनट से 9 बजकर 10 मिनट तक, लाभ चौघड़िया दोपहर में 1 बजकर 54 मिनट से 3 बजकर 28 मिनट तक, अमृत चौघड़िया दोपहर में 3 बजकर 29 मिनट से 5 बजकर 3 मिनट तक।

पूजन का श्रेष्ठ समय प्रातःकाल या प्रदोष काल माना जाता है।

(ध्यान देने योग्य मुख्य बात: तिथि और समय स्थान विशेष के अनुसार थोड़ा भिन्न हो सकते हैं, अतः स्थानीय पंचांग अवश्य देखें।)

अनंत चतुर्दशी व्रत का महत्व

अनंत चतुर्दशी का व्रत रखने से जीवन में आ रही परेशानियाँ दूर होती हैं। यह व्रत विशेष रूप से सुख-समृद्धि, धन, परिवार में शांति और संतान की उन्नति के लिए किया जाता है। शास्त्रों के अनुसार जो भक्त श्रद्धा से भगवान विष्णु के अनंत स्वरूप की पूजा करता है, उसके सभी दुख और संकट दूर हो जाते हैं।

पूजन सामग्री

भगवान विष्णु का चित्र या मूर्ति

कलश

पंचामृत (दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल)

अनंत सूत्र (कच्चा धागा, जिसमें 14 गांठे लगाई जाती हैं, हल्दी से रंगा हुआ)

फूल, अक्षत, रोली, दीपक, धूप

ताजे फल और मिठाइयाँ

प्रसाद हेतु पंचमेवा व खीर

पूजन विधि

1. प्रातःकाल स्नान कर स्वच्छ वस्त्र धारण करें।

2. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करें और भगवान विष्णु की मूर्ति या चित्र स्थापित करें।

3. एक कलश में जल भरकर उसमें आम के पत्ते और नारियल रखें। इसे भगवान विष्णु का प्रतीक मानें।

4. अब भगवान विष्णु का ध्यान करते हुए उन्हें पंचामृत से स्नान कराएँ।

5. रोली, चंदन, अक्षत, पुष्प, धूप-दीप अर्पित करें।

6. अनंत चतुर्दशी का प्रमुख महत्व अनंत सूत्र में है। इसे हल्दी से रंगकर 14 गांठ लगाई जाती हैं। पुरुष इसे दाहिने हाथ में और महिलाएँ बाएँ हाथ में बाँधती हैं।

7. सूत्र बाँधते समय संकल्प लें कि आप 14 वर्षों तक इस व्रत का पालन करेंगे।

8. विष्णु सहस्त्रनाम, विष्णु स्तोत्र या “ॐ अनन्ताय नमः” मंत्र का जप करें।

9. पूजन के बाद कथा का श्रवण करें और अंत में आरती कर प्रसाद बाँटें।

अनंत चतुर्दशी की कथा

पौराणिक मान्यता के अनुसार एक समय पांडव जब अपना सब कुछ हारकर वन में भटक रहे थे, तब श्रीकृष्ण ने युधिष्ठिर को अनंत चतुर्दशी व्रत करने का उपदेश दिया। उन्होंने बताया कि भगवान विष्णु का यह व्रत रखने से जीवन के कष्ट दूर होते हैं और सफलता प्राप्त होती है। युधिष्ठिर ने अनंत व्रत किया और पुनः राज्य प्राप्त किया।

एक अन्य कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण और उसकी पत्नी सुसंता इस व्रत को करती थीं। लेकिन एक बार ब्राह्मण की पत्नी ने अनंत सूत्र उतार दिया, जिससे उनके जीवन में दुख और दरिद्रता आ गई। बाद में पुनः व्रत करने से सुख-समृद्धि लौटी। इस कथा से यह शिक्षा मिलती है कि व्रत के नियमों का पालन करना अत्यंत आवश्यक है।

निष्कर्ष

अनंत चतुर्दशी का पर्व भक्ति, आस्था और अनुशासन का प्रतीक है। यह दिन भगवान विष्णु और भगवान गणेश दोनों की कृपा प्राप्त करने का अद्भुत अवसर है। यदि श्रद्धापूर्वक विधिवत पूजा की जाए तो जीवन में शांति, सुख और समृद्धि की प्राप्ति होती है।

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