
आगे कहा रोहिणी नक्षत्र में पानी छोड़ने की परंपरा तोड़ी गई। पूर्ववर्ती सरकार में रोहिणी नक्षत्र में 15 मई से पहले नहरों में पानी छोड़ने की परंपरा थी। ताकि किसान समय पर बिचड़ा डाल सकें। यह वैज्ञानिक और व्यावहारिक निर्णय था। किन्तु डबल इंजन की सरकार ने इस व्यवस्था को खत्म कर दिया। पहले 1 जून और अब 15 जून तक नहरों के संचालन को टाल दिया गया है। यह निर्णय न सिर्फ किसानों के साथ विश्वासघात है बल्कि किसानों को बिचड़ा डालने में देरी, रोपाई में पिछड़ापन, उनके उत्पादन व उत्पादकता में गिरावट का कारण है। जिसको किसी भी कीमत पर बर्दाश्त नहीं किया जाएगा। राज्य की सोन नहर प्रणाली, जो बक्सर, भोजपुर, कैमूर, रोहतास, जहानाबाद, अरवल, पटना और औरंगाबाद जैसे जिलों की जीवनरेखा है, उसे भी सरकार ने नजरअंदाज कर दिया है। इंद्रपुरी बैराज में 9000 क्यूसेक पानी उपलब्ध होते हुए भी केवल 3000 क्यूसेक ही छोड़ा जा रहा है। वाणसागर जलाशय में बिहार के हिस्से का 1158 मिलियन क्यूबिक मीटर पानी मौजूद है। किन्तु इसका उपयोग नहीं हुआ।
नहरों की मरम्मत कार्य मानसून के बीचोंबीच शुरू करना इस बात का प्रमाण है कि मरम्मत नहीं, घोटाले प्राथमिकता में हैं। सांसद सुधाकर सिंह ने कहा जल संसाधन विभाग में हुए 80,000 करोड़ रुपये के व्यय की स्वतंत्र उच्चस्तरीय जांच कराई जाए। 15 मई से पहले पानी छोड़े जाने की पूर्व व्यवस्था को तत्काल बहाल किया जाए। किसानों की सिंचाई आवश्यकताओं को सर्वोच्च प्राथमिकता दी जाए और तत्काल जल आपूर्ति शुरू की जाए। दोषी अधिकारियों और मंत्रियों की जबावदेही तय की जाए। मरम्मत कार्य को मानसून से पूर्व ही पूर्ण किया जाए, ताकि किसानों को नुकसान न हो। आगे कहा सरकार ने संज्ञान नहीं ली तो राष्ट्रीय जनता दल हर गाँव, हर खेत में किसानों के साथ संघर्ष करेगा। यह लड़ाई अब सिर्फ पानी की नहीं, किसान के अस्तित्व की लड़ाई है। किसानों की फसल, जीवन और भविष्य को सुरक्षित करने के लिए आंदोलन किया जाएगा।