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जातिगत जनगणना को रोकने के लिए पहले भी याचिका लगाई गई थी जिस पर सुप्रीम कोर्ट में सुनवाई करने से इनकार करते हुए हाईकोर्ट जाने के लिए कह दिया था अखिलेश सिंह समेत 10 से 12 लोग याचिकाकर्ता है इसके बाद फिर भी सुप्रीम कोर्ट में याचिका लगाई गई और दलील दी गई कि अगर इस पर तुरंत रोक नहीं लगाई गई तो जातिगत जनगणना पूरी हो जाएगी इसका कोई मतलब नहीं रह जाएगा।
दरअसल याचिकाकर्ता अखिलेश सिंह स्वास्थ्य विभाग के रिटायर्ड हेड क्लर्क के बेटे हैं वह नालंदा के बड़गांव से सटे बेगमपुर गांव के रहने वाले हैं एक फाइनेंस कंपनी में रिजनल हेड के जिम्मेदारी निभाने वाले अखिलेश 9 साल से दिल्ली में है वह सूर्यनारायण जागृति मंच से जुड़कर सामाजिक काम करते हैं सामाजिक कार्यों के लिए हर माह दिल्ली से गांव आते हैं।
सूर्य नारायण जागृति मंच की तरफ से वह हर साल छठ पूजा में 100 से अधिक वालंटियर के साथ श्रद्धालुओं की सेवा करते हैं, इसी सेवाभाव से वह चर्चा में रहे हैं, उनका कहना है की बिहार में 90 के दशक की कहानी सुनकर रोंगटे खड़े हो जाते हैं, जाति के नाम पर लोगों को मारा काटा जा रहा था। ऐसा घाव मिला है, जिसका दर्द आज भी है, जिसने भी वह दौर देखा या सुना है, वह नहीं चाहेगा कि बिहार फिर उसी आग में जल जाए, जातीय जनगणना बिहार को 90 के दशक में वापस ले जाने वाली आग है, इस आग को सुलगने से पहले रोकना होगा।