Home बिहार पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह विधानसभा में लाएंगे प्राइवेट मेंबर बिल

पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह विधानसभा में लाएंगे प्राइवेट मेंबर बिल

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Bihar: बिहार के राजद प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह के पुत्र व पूर्व कृषि मंत्री सुधाकर सिंह मंडी व्यवस्था की मांग पर प्राइवेट मेंबर बिल बिहार विधानसभा के शीतकालीन सत्र में लाने वाले हैं, बिहार विधानसभा में 1978 के बाद ले जाने वाला यह पहला प्राइवेट मेंबर बिल होगा 44 साल बाद कोई विधायक प्राइवेट मेंबर बिल ला रहे हैं। ‌

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दरसअल सुधाकर सिंह जब महागठबंधन सरकार में कृषि मंत्री थे तब उन्होंने मंडी व्यवस्था लागू करने, किसानों के अनाज एमएसपी के तहत खरीदने और अनाज खरीद पैक्स के साथ ही अन्य कंपनियों को भी मौका देने की मांग सरकार से की थी लेकिन सरकार उनकी मांग नहीं मानी थी आखिरकार विभाग के अंदर इसको लेकर एक पत्र लिखा लेकिन सुधाकर अपने तीखे बयानों और कड़ी कागजी कार्यवाहियों की वजह से नीतीश कुमार के निशाने पर आ गए और लालू प्रसाद ने सुधाकर सिंह को इस्तीफा देने को कहा और सुधाकर ने कृषि मंत्री पद से इस्तीफा दे दिया हालांकि मंत्रिमंडल से बाहर आकर भी मुखर है और वह अब प्राइवेट मेंबर बिल ला रहे हैं। ‌

सरकारी व प्राइवेट बिल में अंतर है प्राइवेट मेंबर्स बिल कोई भी सांसद संसद में या विधानसभा में पेश कर सकता है सरकारी बिल को सरकार का समर्थन होता है जबकि प्राइवेट बिल के साथ ऐसी कोई बात नहीं है विधानसभा में प्राइवेट बिल को लेकर फैसला विधानसभा अध्यक्ष करते हैं अब विधान सभाअध्यक्ष अवध बिहारी चौधरी हैं, हालांकि अध्यक्ष बनने के बाद उन्हें दल निरपेक्ष माना जाता है लेकिन वह आरजेडी कोटे से अध्यक्ष पद पर आए हैं।

दरअसल नियम यह है कि विधानसभा अध्यक्ष प्राइवेट मेंबर बिल पेश होने की अनुमति देने के बाद उनकी समीक्षा के लिए सरकार को भेजते हैं जब वहां से अनुमोदन मिल जाता है तब उसे संसद के पटल पर रखने की अनुमति दी जाती है विधानमंडल के दोनों सदनों यानी विधानसभा और विधान परिषद में अनुमोदित होने और राज्यपाल के अनुमोदन के बाद ही कोई बिल यह विधेयक कानून बनता है और इसके लिए प्राइवेट मेंबर बिल को बहुमत से पास होना जरूरी है।

बिहार विधानसभा संचालन नियमावली में प्राइवेट बिल लाने का प्रावधान है इसके ड्राफ्ट में साफ-साफ लिखा होता है कि विधि सम्मत हो तो इसे स्वीकार किया जाए अगर बहुमत से पारित होगा तो राज्यपाल को भेजा जाता है, राज्यपाल अपनी स्वीकृति अगर दे देते हैं तो सरकार के विधेयक रूप में इसका महत्व होता है, विधानसभा में इस पर चर्चा हो जाने के बाद सरकार के मंत्री को सुधाकर से वापस भी ले सकते हैं या आगे बढ़ने का विकल्प भी चुन सकते हैं सुधाकर सिंह सरकार के मंत्री को अनुरोध के बावजूद प्राइवेट मेंबर बिल वापस लेंगे ऐसा नहीं लगता, वह किसानों के सवालों पर लगातार मुखर है और वह चाहते हैं कि पक्ष और विपक्ष विधायक किसानों से जुड़े बिल पर उनके साथ खड़े रहे। ‌

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