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कार्यक्रम को संबोधित करते हुए कृषि वैज्ञानिक डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह ने कहा की मोटे अनाज मड़ुआ, सांवा, कोदो, मेझरी मक्का, ज्वार, बाजरा आदि फसलों की खेती करने की बात कही, मोटे अनाज पौष्टिक तत्वों से भरपूर होते हैं इसमें कार्बोहाइड्रेट, प्रोटीन, तंतु, पोटेशियम, सोडियम और विटामिन्स भरपूर मात्रा में पाया जाता है, इसके सेवन से शरीर में रोग प्रतिरोधक क्षमता में वृद्धि होती है, इस फसल का उत्पादन बगैर रासायनिक खाद के प्रयोग के बिना किया जा सकता है इसमें लागत भी कम लगती है और मुनाफा ज्यादा मिलता है।
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अंतरराष्ट्रीय स्तर पर मोटे अनाज की मांग होने लगी है हालांकि मोटे अनाज हमारे पूर्वजों की धरोहर है पूर्व में इसकी खेती बड़े पैमाने पर हुआ करती थी लोग इसके सेवन से स्वस्थ और सेहतमंद हुआ करते थे, ब्लड शुगर, हृदय रोग होने की संभावना कम हो जाती है, इन अनाजों के उत्पादन में पानी की भी जरूरत कम पड़ती है किसान भाई मोटे अनाज की खेती अवश्य करें और अपनी आय में वृद्धि करे, कार्यक्रम की उपलब्धियों एवं भविष्य में किए जाने वाले कृषि कार्य पर कृषि वैज्ञानिकों द्वारा विस्तार पूर्वक चर्चा की गई।
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कार्यक्रम में वरीय कृषि वैज्ञानिक डॉ सदानंद राय, वनवासी सेवा केन्द्र के सचिव अवधेश कुमार शर्मा, नाबार्ड के एजीएम उद्दीयन, कृषि वैज्ञानिक डॉ सुरेंद्र कुमार सिंह, नीरज कुमार चौधरी, डॉ मनीष कुमार, डॉ राहुल कुमार कार्यक्रम के सहयोगी अभिषेक कुमार,उमेश कुमार,आत्मा के प्रखंड तकनीकी प्रबंधक अमित कुमार गुप्ता, अधौरा पंचायत के मुखिया गौरीशंकर सिंह, पूर्व प्रमुख रामचंद्र सिंह खरवार, दिघार पंचायत के पूर्व मुखिया भगवान सिंह यादव सहित अन्य उपस्थित रहे।
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