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उसमें मुख्य रूप से, मनरेगा के द्वारा हर वर्ष पौधारोपण तो किया जाता है उन पौधों के देखने के लिए कर्मी की भी नियुक्ति होती है और उन्हें मेहनताना भी भुगतान किया जाता है मगर धरातल पर एक भी पौधा नजर नहीं आता, दुसरा मनरेगा के माध्यम से ही हर वर्ष एक ही पईन को अलग-अलग तरह से नाम बदलकर खुदाई का कार्य किया जाता है और यह पूरा कार्य सिर्फ और सिर्फ फाइलों में ही सीमित रहती है और पैसों की लूटपाट हो रही है। वही पीएचडी विभाग के द्वारा वैसे सामुदायिक स्थल जहां चापाकल लगाया गया है वहां चापाकल मरम्मती के नाम पर स्थानीय लोगों से पैसे वसूली के कार्य किए जाते हैं। वही स्वच्छता कर्मियों की बहाली आम सभा करके मुखिया के द्वारा तो की गई मगर किसी भी पंचायत में सफाई कर्मियों के द्वारा कचरा का उठाव नहीं किया जाता है ना ही सफाई की जाती है सारा कार्य सिर्फ फाइलों में सीमित कर गया है।
फाइलों में ही सभी संचालित दिखाए जाते हैं, धरातल पर सब कुछ शुन्य हैं, इस तरह के कई आरोप लगाए गए।
वहीं इससे जुड़ी जानकारी जब प्रखंड कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के सचिव चैनपुर बीडीओ शुभम प्रकाश से लिए तो उनके द्वारा बताया गया 20 सुत्रीय बैठक में सदस्यों के द्वारा विभागों के माध्यम से संचालित योजनाओं को लेकर कई सवाल खड़े किए गए हैं कई आरोप भी लगाया गए है उन सभी आरोपी की जांच के लिए प्रखंड कार्यक्रम कार्यान्वयन समिति के द्वारा एक जांच कमेटी की गठन की जाएगी, जिनके द्वारा जांच करते हुए एक सप्ताह में अपनी रिपोर्ट प्रस्तुत करेंगे उस आधार पर मामले में कार्रवाई होगी।