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इस संबंध में उन्होंने संबंधित मंत्री को अनेकों बार पत्राचार किया गया, संसद में भी उन्होंने आवाज उठाई इसके आलोक में बांध के निर्माण के लिए कंसल्टेंट की नियुक्ति की जा चुकी है एसजीई कंसलटेंसी को डीपीआर तैयार कर तीन माह के अंदर समर्पित करना था।
वन विभाग से अनापत्ति और भारत सरकार से अनुमोदन प्राप्त कर प्रक्रिया को अंतिम रूप देने की कार्रवाई शुरू की जा चुकी है इसके बाद भी धरातल पर काम शुरू ना होने से लोगों में निराशा है कैमूर जिला का यह इलाका बरसों से सूखाग्रस्त क्षेत्र है, जहां जितना जल्दी सिंचाई का साधन व स्रोत उपलब्ध होगा, किसानों के लिए वह राहत की बात होगी, सांसद का कहना कि उन्होंने सदन के माध्यम से यथा शीघ्र उक्त सिंचाई परियोजना को प्राथमिकता के आधार पर कार्यान्वित करने के लिए जल शक्ति मंत्रालय को निर्देशित करने की मांग की है।