Thank you for reading this post, don't forget to subscribe!
पति का इलाज राजकीय मेडिकल अस्पताल में चल रहा है। अस्पताल में इलाजरत दिलीप महलदार की पत्नी छेदनी देवी ने बताया कि उनके पति मजदूरी करते हैं। कुछ महीनो से वह काम पर नहीं जा रहे हैं। करीब 1 साल पहले उनके पति ने उनके नाम से 80 हजार रुपये समूह ऋण लिया था। वे अधिकांश ऋण भी चुकता कर चुके थे। केवल 20 हजार रुपये किस्त बाकी रह गया था।
वे लोग प्रति माह 2 हजार रुपये किस्त देते थे। इधर पति के काम छोड़कर घर पर बैठ जाने की वजह से घर की माली हालत काफी खराब है। घर चलाना तक मुश्किल हो रहा है। गुरुवार को किस्त भुगतान का समय था। इस वजह से उनके ऊपर ग्रुप लोन भरने का दवाब था। इसी को लेकर पति के साथ उसका विवाद हुआ। जिसके बाद वह अपने रिश्तेदार के घर उधार मांगने चली गई। वापस घर लौटने पर देखा कि कमरे का दरवाजा लगा है। पति ने अंदर से दरवाजे को लाक कर रखा है। खिड़की से कमरे के अंदर झांकने पर पति को फंदे से झूलता पाया। जिसके बाद आसपास के लोग ने उसे फंदा से मुक्त किया। बता दें कि ग्रामीण इलाकों में समूह ऋण की किस्ती पारिवारिक कलह का कारण भी बनने लगा है। खासकर निजी फाइनेंस कंपनी का संजाल बढ़ने से लोग इस तरह के ऋण ले रहे हैं।