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जिसके बाद बिना समये गवाए परिजन नवजात की खोज में वापस लौट गए। जहां वह बच्चा एक दूसरे व्यक्ति के पास मिला जो व्यक्ति उस बच्चों को देने से इनकार कर रहा था। जिसके बाद पुलिस को बुलाया गया तब बच्चा को युवक के द्वारा परिजनों को सौपा गया। बच्चा लहुलूहान है। उसे अस्पताल लाया गया है। उसका इलाज किया जा रहा है बच्चे की शरीर पर कुछ खरोंचे हैं पर वह स्वस्थ है, खतरे से बाहर है। दरसल यह घटना बांका जिले शंभुगंज प्रखंड के टीना गांव की है। प्रसूता शिल्पी कुमारी राजेश तांती की पत्नी बताई जा रही है। वही शिल्पी की सास मीरा देवी ने बताया कि रात करीब 2:00 बजे के बाद प्रसव पीड़ा बहुत तेज हो गई थी। जिसके बाद आशा कार्यकर्ता माला देवी के साथ हम सब ई रिक्शा से शंभूगंज अस्पताल जा रहे थे। तभी जल्दी से अस्पताल पहुंचाना चाह रहे थे रास्ते में अधिक पीड़ा सताने पर शिल्पी बेचैन होने लगी थी।
गोयड़ा गांव के मंदिर के समीप सड़क पर ठोकर पार होते ही ई-रिक्शा उछला और किसी को पता ही नहीं चला कि बच्चा वहीं गर्भ से बाहर निकलकर सड़क पर जा गिरा। इस बात की जानकारी तब हुआ जब शिल्पी को प्रसव कक्ष में भर्ती कराया। चिकित्सक ने जब शिल्पी की जांच की तो नवजात के बारे में पूछने लगे तो समझ में आया कि बच्चा सड़क के ठोकर पर ही हो गया है। जिसके बाद हम लोग गोयड़ा गांव पहुंचे। जंहा बच्चा गांव के डबलू ठाकुर के पास से मिला। लेकिन डबलू बच्चा देने से इन्कार करने लगा था। ग्रामीण जुटे और दो भाग में बंट गए। विवाद होने लगा। आधे लोग कहने लगे कि बच्चे को उसकी मां को दे दिया जाए और आधे कहने लगे कि डबलू ने बच्चे को बचाया है इसलिए बच्चे पर उसका हक है। इसके बाद आशा ने अस्पताल के चिकित्सक को सूचना दी। चिकिस्तक डा. शैलेंद्र कुमार ने पुलिस को भेजा। पुलिस के हस्तक्षेप पर बच्चे को मां की गोद मिली और उसे अस्पताल लाया गया। लोगों के मुताबिक यह घटना और इसमें बच्चे का जीवित बचे रहना ईश्वरीय सत्ता का चमत्कार है जो दशकों या सैकड़ों वर्ष में कभी-कभार ही होता है।