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दरसल भारतीय ऋषियों व मनीषियों द्वारा वृहस्पति ग्रह के चक्रों को ध्यान में रखते हुए अभिजीत योग की उपस्थिति में भारत में कुंभ स्नान व पूजा-पाठ की परंपरा है। उक्त शब्दों व वाक्य जो कि मल्लिकार्जुन खड़गे ने प्रयोग किया है, वह वास्तव में अपराधी चरित्र को दर्शाता है, जो कि विविधता में एकता जैसे अनुशासित व सांस्कृतिक एकता को विखंडित करने का प्रयास है, जिससे परिवादी व संपूर्ण सनातन समाज आहत हुआ है। परिवादी की ओर से यह वाद अधिवक्ता निर्मल कुमार ने दायर किया है।