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सुशील मोदी ने बिहार सरकार को नसीहत दी है कि जातीय जनगणना में लगने वाले अधिकारियों को ट्रेनिंग के लिए उन राज्यों में भेजा जाए जहां पहले ही हो चुका है जहां असफल हुआ है उसका भी अध्ययन हो, सुशील मोदी ने जातीय जनगणना कराने के लिए मुख्यमंत्री नीतीश कुमार को धन्यवाद देते हुए कहा कि बिहार सरकार को कर्नाटक और तेलगांना टीम को भेजकर अध्ययन करना चाहिए इन दोनों राज्यों में किस प्रकार जाति आधारित जनगणना कराई गई थी, साथ ही इस बात का भी अध्ययन करना चाहिए कि 2011 की सामाजिक, आर्थिक, जाति जनगणना में क्या त्रुटियां थी कि केंद्र सरकार जाति के आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं करा पाई, कर्नाटक सरकार ने जातीय गणना तो कराई परंतु 7 वर्ष हो गए आज तक आंकड़ों को सार्वजनिक नहीं कर पाई।
कुछ जातियों की संख्या काफी कम पाई गयी और उनके विरोध के डर से कोई भी सरकार जातीय आंकड़े प्रकाशित नहीं कर सकी, बिहार के पूर्व उप मुख्यमंत्री ने कहा कि तेलंगाना ने 2014 में ‘समग्र कुटुंब सर्वे‘ के नाम से जातीय जनगणना कराई जिसमें एक ही दिन में पूरे सरकारी तंत्र में सर्वे का काम पूरा किया इस सर्वे में 75 सामाजिक आर्थिक मुद्दों पर सर्वेक्षण किया गया था केंद्र सरकार ने 5500 करोड़ रूपए लेकर 2011 में बिना तैयारी के जल्दबाजी में जनगणना 2011 करवाया जिसमें 46 लाख जातियां दर्ज हो गई और 1 करोड़ 18 लाख से ज्यादा त्रुटियां पाई गई उपरोक्त तीनों सर्वेक्षण का पूरा अध्ययन किया जाए ताकि वह गलतियां बिहार में न दोहराई जाए।