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मृतक की पहचान कुदरा थाना के चिलीबिली गांव के साजन प्रसाद बिंद के पुत्र विकास कुमार के रूप में की गई है, युवक कुदरा के भभुआ रोड में टेंट का काम करता है टेंट का काम करने के दौरान युवक करंट की चपेट में आया जिसके बाद उसे इलाज के लिए कुदरा के सरकारी अस्पताल में लेकर जाया गया, युवक को अस्पताल में करीब 45 मिनट तक देखने के लिए कोई भी चिकित्सक नहीं आया, लोगों का कहना है कि यदि अस्पताल में समुचित इलाज हुआ हो तो युवक की मौत नहीं होती।
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लोगों ने मृतक के स्वजनों को मुआवजा व दोषी चिकित्सक पर कड़ी कार्रवाई की मांग की, युवक की मौत और आक्रोश की सूचना मिलते ही कैमूर जिले के सिविल सर्जन भी कुदरा के सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र पहुंची और स्थिति का जायजा लिया, उन्होंने कहा कि वे मामले की जांच के लिए अस्पताल में आई हैं चिकित्सा प्रभारी पदाधिकारी से बातचीत कर वस्तुस्थिति की जानकारी ली जा रही है।
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बता दे कुदरा का सरकारी अस्पताल सरकार व स्वास्थ्य विभाग की घोर उपेक्षा का शिकार है अस्पताल का दर्जा तो सामुदायिक स्वास्थ्य केंद्र का है लेकिन यहां सुविधाएं पीएचसी के बराबर भी नहीं है, अस्पताल में न पर्याप्त जगह है, ना ही पर्याप्त बेड, यहां पर्याप्त एमबीबीएस चिकित्सक व सर्जन भी नहीं है, ऐसा तब है जब कुदरा से होकर अति व्यस्त जीटी रोड समेत कई सड़क एवं रेल लाइन गुजरती है, यहां हर रोज कई दुर्घटनाएं होती है और घायल अस्पताल पहुंचाया जाता हैं लेकिन चिकित्सक व सुविधाओं के अभाव में उनका समुचित इलाज नहीं हो पाता।
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कभी-कभी इलाज के अभाव में किसी की मौत हो जाती है और हंगामा होता है तब यह बात जगजाहिर होती है, अस्पताल की स्थिति कितनी बदत्तर है इससे अंदाजा लगाया जा सकता है कि कोरोना की दूसरी लहर में पिछले वर्ष यहां तो प्रखंड स्वास्थ्य प्रबंधक की मौत के बाद से अभी तक पूर्णकालीन प्रबंधक की नियुक्ति नहीं हुई है, तब से अब तक यहां प्रभार में ही चल रहा है।