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ये नीतीश कुमार की राजनीति का हिस्सा बन गया है। लेकिन, आज जो घटना हुई वो नीतीश कुमार के संदर्भ में नहीं है, नीतीश कुमार पलटूराम हैं या पलटूराम नेताओं के सरदार हैं ये बात जनता पहले से ही जानती है। आज की घटना ने ये दिखाया है कि पूरे बिहार में जितने राजनीतिक दल और नेता हैं सब पलटूराम हैं। आज ये भी तय हुआ कि नरेंद्र मोदी, अमित शाह और भाजपा वाले भी उतने ही बड़े पलटूमार हैं, जो 4 महीने पहले कह रहे थे कि बिहार में नीतीश कुमार के लिए भाजपा का दरवाजा बंद है। ये पलटूमार राजनीतिक व्यवस्था इसलिए है क्योंकि कल तक जिस नीतीश कुमार को भाजपा के नेता, समर्थक गाली दे रहे थे। आज ही से उन्हें सुशासन की नई प्रतिमूर्ति बता रहे हैं।
इतना ही नहीं प्रशांत किशोर ने यह भी कहा की ये पलटूमार व्यवस्था इसलिए है कि आज तक राजद के नेता नीतीश कुमार को सुशासन का नेता बता रहे थे, आज शाम होते-होते वो खुद नीतीश कुमार को गाली देंगे, शराबबंदी में उन्हें माफियागिरी दिखने लगेगी, बिहार में उन्हें भ्रष्टाचार दिखने लगेगा। लेकिन, अभी सुबह तक उन्हें ये नहीं दिख रहा था। नीतीश कुमार पलटूराम हैं, ये दुनिया जानती है, ये डिस्कवरी का मुद्दा नहीं है। इस घटना ने ये दिखाया कि नीतीश कुमार ने अपने ही रंग में पूरी राजनीतिक व्यवस्था को रंग दिया है। जिसमें भाजपा और राजद उतने ही बड़े पलटूराम हैं जितने की नीतीश कुमार।