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इसको एक बार या दो बार में किया जाय, तो ज्यादा बेहतर होगा इससे खर्च भी बचेगा और जवाबदेही भी तय होगी जनता को एक बार ही निर्णय लेना होगा चूंकि ये व्यवस्था साल 1967 के बाद से करीब-करीब 50 वर्षों से बन गई है इसको ओवरनाइट ट्रांजेशन करेंगे तो उसमें दिक्कत आ सकती है अभी सरकार शायद बिल ला रही है, बिल को आने दीजिए अगर सरकार की नीयत सही में ठीक है, तो इस चीज को होना चाहिए, होने से देश को फायदा है।
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प्रशांत किशोर ने आगे कहा कि लेकिन मैं इसमें प्रश्न जरूर डालूंगा, मान लीजिए कि आप आतंकवाद निरोधक कोई कानून लाते हैं तो कानून लाना तो अच्छी बात है आतंकवाद रुकना चाहिए उसके खिलाफ कार्रवाई होनी चाहिए लेकिन आप उस कानून का इस्तेमाल किसी वर्ग विशेष या समाज विशेष को प्रताड़ित करने के लिए करते हैं, तो ये जस्टिफाइड नहीं है, किस नीयत से सरकार ला रही है, कितनी ईमानदारी से इसे लागू करती है इस पर निर्भर करता है मूलत: इलेक्शन रोज न होकर अगर एक बार या दो बार होगा तो उससे देश का आर्थिक, सामाजिक, राजनीतिक फायदा है।
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