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पूर्व मुख्यमंत्री ने कहा ऐसे लोगों को शर्म आनी चाहिए हम वैसे लोगो को पुजारी नहीं कहेंगे, 1956 में बाबा साहब भीमराव अंबेडकर ने बौद्ध धर्म को अपनाया था हालांकि वे पहले से हिंदू थे, कहा कि हमने भुइयां संघ की बैठक में यह कहा था कि आजकल मुसहर टोली में भी सत्यनारायण भगवान की पूजा होने लगी है, लेकिन पूजा कराने वाले लोग दक्ष नहीं होते अज्ञानी है, उन्हें शर्म आनी चाहिए वैसे लोग को हम बार-बार हरामी कहेंगे।
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दरअसल हरामी शब्द मगध में प्रचलित है, इसी शब्द का प्रयोग हमने किया था हमने ब्राह्मणों के प्रति ऐसा कुछ नहीं कहा लेकिन इसके लिए हमने 2 बार माफी मांगी है, उन्होंने कहा कि ब्राह्मणवाद वह है जो बगैर कुछ जाने ब्राह्मणों का काम करने में डूब जाते हैं, हमने अपने गांव में भी ऐसा देखा है जो पुजारी मांस और मदिरा का सेवन करते हैं, वह पूजा-पाठ भी कर आते हैं।
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हमारे बयान के बाद एक पूर्व सांसद और एक पूर्व बिहार विधानसभा के विधायक द्वारा हमें धमकी भी दी जा रही है, बयानबाजी पर प्रतिक्रिया होती है 41 साल के राजनीतिक जीवन में हमने ऐसा नहीं देखा, उन्होंने फिर दोहराया कि रामायण महाकाव्य है लेकिन उसके चरित्र राम जो है वह काल्पनिक है।