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सबसे पहले गांव के ही आठवीं के छात्र हरिराम पांडेय ने पीपल में नाक फ़न की आकृति को देखा था जिसके बाद उसने अपनी मां को यह बताया और इसके बाद पूरे गांव में यह बात आकर तरह फैल गई, रुखाई पुरातात्विक महत्व का गांव है यह जल जीवन हरियाली के लिए पर जाना चाहता है रुखाई गढ़ के किले में पालकालीन इतिहास दफन है इसका प्रमाण प्रारंभिक खुदाई से मिला है गांव में करीब 30 एकड़ में तालाब में जो नई पीढ़ी को यह बताने के लिए काफी है कि उनके पूर्वज जल संरक्षण के लिए कितने सजग थे, गांव के तीन तरफ बड़े-बड़े तालाब है, सूर्य तालाब 16 एकड़ का है इसके सटे दक्षिण पूरब और पश्चिम दो बड़े तालाब हैं इन सभी में साल भर वर्षा का पानी भरा रहता है।
रुखाई ग्रामीण पर्यटन का केंद्र बन सकता है यहां का टीला पुरातात्विक महत्व का है, 6 साल पहले हुई खोदाई में पाल कालीन सभ्यता और संस्कृति के प्रमाण मिले थे उस टीले पर लोग निर्माण खड़ा कर रहे हैं उसको संरक्षित नहीं किया जा सका है आज जहां तालाब और पोखर का अतिक्रमण कर लोग खेत या निर्माण खड़ा कर रहे हैं, रुखाई में तालाब का संरक्षित रहना बड़ी बात मानी जा रही है, यदि इसका सुंदरीकरण करा दी जाय और नौका विहार का प्रबंध कर दिया जाए तो यह ग्रामीण पर्यटन केंद्र बन सकता है।