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ग्राम कचहरियों की अधिकारों में बढ़ोतरी होनी चाहिए लेकिन जो अधिकार दिए गए उसे भी कार्यान्वित करने की व्यवस्था नहीं की गई। जिसका परिणाम आज यह है कि ग्राम कचहरियों में सैकड़ों पद रिक्त हैं। निर्विरोध चुने जाने की स्थिति में भी लोग नामांकन नहीं कर रहे। राज्य सरकार की अनदेखी के कारण लोगों में ग्राम कचहरी को लेकर उत्साह नहीं है क्योंकि यहां न कार्य है, न कोष है और न ही कर्मी हैं। आज प्रदेश की पंच, सरपंच और उपसरपंच अपने विभिन्न मांगों को लेकर आंदोलनरत है। सरकार को चेतावनी दी है कि अगर उनकी मांगे नहीं मानी गई तो 12 जनवरी को सामूहिक इस्तीफा दे देंगे। सरकार उनसे 31 दिसंबर तक का समय मांगी थी।
प्रदेश में 1.25 लाख जनप्रतिनिधि आंदोलनरत है और इस्तीफा देने की तैयारी में है। भाजपा सरकार से मांग है कि आंदोलनरत पंच, सरपंच और उपसरपंच के संघ को सरकार वार्ता के लिए बुलाए और उनकी समस्या के समाधान की कोशिश करे। 10 वर्ष पूर्व 31 दिसंबर 2013 को सरकार ने ग्राम कचहरी में सुधार के लिए 20 सूत्री कार्य योजना बनाई थी और इसकी घोषणा सदन में की गई थी लेकिन इसमें एक भी पूरी नहीं हुई। उन्होंने कहा कि इसके तहत पगड़ी देने, मानदेय बढ़ाने, इंश्योरेंस कराने तक की व्यवस्था देने की बात की घोषणा हुई थी। अगर ग्राम कचहरी की व्यवस्था सही हो तो न्यायालयों पर बोझ कम होगा, लेकिन यह सरकार अक्षम है और हर मोर्चे पर विफल साबित हुई है। उन्होंने कहा कि अगर 12 जनवरी को इतनी बड़ी संख्या में जन प्रतिनिधि इस्तीफा दे देंगे तो प्रदेश में वैधानिक संकट उत्पन्न हो जाएगा।