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इस मामले से संबंधित जानकारी देते हुए प्रखंड बीआरसी कार्यालय के कर्मियों के द्वारा बताया गया कि वेतन निर्धारण के लिए सभी शिक्षकों से मूल सेवा पुस्तिका बीआरसी कार्यालय में जमा करवाया जा रहा था, इस दौरान उर्दू उत्क्रमित मध्य विद्यालय हाटा में कार्यरत शिक्षक कमरुल हसन अंसारी के द्वारा भी अपनी सेवा पुस्तिका लिखित रूप से जमा किया गया, बाद में उनके द्वारा अपनी सेवा पुस्तिका किसी कार्यवश बीआरसी कार्यालय के कर्मियों से मांग कर ले जाएगा गया।
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जब प्रखंड बीआरसी के कर्मियों के द्वारा वेतन निर्धारण के लिए सेवा पुस्तिका कि दोबारा फिर से कमरुल हसन अंसारी से मांग की गई तो उनके द्वारा आरोप लगाया गया कि उनके द्वारा प्रखंड बीआरसी में ही अपनी सेवा पुस्तिका जमा कर दी गई है, दोबारा इन्हें प्राप्त नहीं हुआ है, जिसे लेकर कमरुल हसन अंसारी के द्वारा जिला डीपोओ के पास लिखित रूप से शिकायत भी की गई, और आरोप लगाया गया कि बीआरसी के कर्मियों के द्वारा इनकी सेवा पुस्तिका को गायब कर दिया गया है। जिस पर डीपीओ के माध्यम से यह आदेश निर्गत किया गया कि कमरुल हसन अंसारी की नई सेवा पुस्तिका खोलते हुए उनका वेतन निर्धारण किया जाए।
इसी बीच प्रखंड कार्यालय में डीबीओ के द्वारा शिक्षकों का वेतन निर्धारण किया जा रहा था, उस दौरान कमरुल हसन अंसारी अपनी पुरानी सेवा पुस्तिका लेकर वहां वेतन निर्धारण करवाने पहुंचे, तब बीआरसी के कर्मियों के द्वारा पूछा गया कि जब आप कार्यालय से सेवा पुस्तिका लेकर गए ही नहीं थे तो आपके पास सेवा पुस्तिका कहां से आ गई, अगर आपके पास ही सेवा पुस्तिका थी तो फिर आपके द्वारा प्रखंड बीआरसी कार्यालय में इसकी सूचना क्यों नहीं दी गई।
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इस मामले को लेकर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा कमरुल हसन अंसारी से स्पष्टीकरण करते हुए इसका जवाब भी मांगा गया जिसमें प्रथम स्पष्टीकरण 1 अक्टूबर 2021 को एवं दूसरा स्पष्टीकरण 16 अक्टूबर 2021 को तिथि को की गई, दूसरी बार किए गए स्पष्टीकरण का जवाब कमरुल हसन अंसारी के द्वारा तो दिया गया, मगर वह जवाब संतोषजनक नहीं पाया गया, जिसके उपरांत शिक्षक कमरुल हसन अंसारी के ऊपर अनुशासनहीनता स्वचारिता मनमानेपन व झूठा आरोप के मामले में जिला के वरीय पदाधिकारी के पास अनुशासनिक कार्रवाई को लेकर अनुशंसा की गई है।
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इससे संबंधित जानकारी लेने पर प्रखंड शिक्षा पदाधिकारी के द्वारा बताया गया कि शिक्षक कमरुल हसन अंसारी के द्वारा वेतन निर्धारण के लिए शुरुआती दौर में सेवा पुस्तिका कार्यालय में जमा करवाए गए थे, दोबारा फिर वह अपनी सेवा पुस्तिका लेकर किसी कार्यवश चले गए, और आरोप लगाया गया कि कार्यालय के कर्मी के द्वारा ही इनकी सेवा पुस्तिका गुम कर दी गई है।
जिसे लेकर इनके द्वारा जिला में लिखित रूप से शिकायत भी की गई, इसी बीच जब डीबीओ के द्वारा वेतन निर्धारण का कार्य किया जा रहा था, उस दौरान वह अपनी पुरानी सेवा पुस्तिका लेकर पहुंचे और वेतन निर्धारण करवाने लगे, जब सेवा पुस्तिका इन्हें प्राप्त हो चुका था तो इसकी सूचना कार्यालय में क्यों नहीं दी गई, इस मामले से संबंधित किए गए स्पष्टीकरण का भी उनके द्वारा संतोषजनक जवाब नहीं दिया गया जो स्वचारिता मनवानेपन अनुशासनहीनता को परिलक्षित करता है, जिसे लेकर इनके ऊपर अनुशासनिक कार्रवाई करने के लिए जिला के वरीय पदाधिकारी के पास अनुशंसा की गई है।