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कोसी का डॉन कहें जाने वाले पप्पू देव की पुलिस कस्टडी में हार्ट अटैक से मौत, समर्थकों ने काटा बवाल

Bihar: बिहार के कोसी से नेपाल तक अपहरण उद्योग के बेताज बादशाह कहे जाने वाले पप्पू देव उर्फ कोसी का डॉन की शनिवार की देर रात मुठभेड़ के बाद पुलिस कस्टडी में हार्टअटैक से मौत हो गई, पप्पू देव की मौत पर सस्पेंस है, पुलिस के अनुसार उसकी मौत हार्ट अटैक से हुई है तो उसके समर्थक कह रहे हैं कि पुलिस की पिटाई से उनकी जान गई है जिसके बाद वह सड़कों पर बवाल काट रहे हैं, अपराध की दुनिया में पप्पू देव जब जिंदा था तो लोग उसे कोसी का डॉन कहते थे, उसके नाम का डंका बेगूसराय, खगड़िया, सहरसा, सुपौल, मधेपुरा तक ही नहीं नेपाल तक भी था।

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पप्पू देव
पप्‍पूदेव, फाइल फोटो

कोसी के डॉन पप्पू देव से प्रभावित होकर 2005 में प्रकाश झा ने एक फिल्म भी बनाई थी, फिल्म का नाम था अपहरण फिल्म में एक किरदार था विधायक तबरेज आलम, कहा जाता है कि तबरेज आलम का कैरेक्टर जिस बाहुबली से प्रभावित था वह बाहुबली पप्पू देव था, यह अलग बात है कि पप्पू देव कभी विधायक नहीं बन पाए लेकिन जिस तरह फिल्म में दिखाया गया कि बिहार में कभी भी अपहरण हो लेकिन उसकी डीलिंग तबरेज आलम ही करता था, उसी तरह पप्पू देव के मर्जी के बगैर किसी की भी किडनैपिंग नहीं की जा सकती थी, अगर कोई छोटा गिरोह किडनैपिंग को वारदात देता था तो वह आखिरकार पप्पू देव के नेटवर्क में ही पहुंचता था।

पप्पू देव सहरसा के बिरहा थाना क्षेत्र के बिरहा गांव का रहने वाला था, उसके पिता दुर्गानंद देव पूर्णिया में बिजली विभाग में कार्यरत थे, पूर्णिया में ही पप्पू ने अपराध की दुनिया में दस्तक दी थी, इसी बीच उनके एक रिश्तेदार की हत्या हुई जिसके बाद 1994 में पप्पू देव ने कुंवर सिंह नामक व्यक्ति की हत्या कर उसका बदला लिया था और फिर हत्या का दौर चल पड़ा, जिसके बाद पप्पू पर अकेले सहरसा में करीब 28 से ज्यादा मामले दर्ज है जबकि उस पर 150 से ज्यादा रंगदारी, अपहरण और हत्या के मामले दर्ज है।

पप्पू देव का नाम नकली नोट के कारोबार, अपहरण, लूट और मारपीट की अनगिनत मामले दर्ज है, 2001 में पारू और कटरा के सब रजिस्ट्रार की हत्या का आरोप पप्पू देव पर ही लगा था, 2003 में पप्पू देव 50 लाख से अधिक जाली नोट के साथ नेपाल में गिरफ्तार हुआ था, नेपाल के विराटनगर के बड़े व्यवसाय तुलसी अग्रवाल का अपहरण में भी उसका नाम सामने आया था, तब मोटी रकम फिरौती लेने के बाद उसे मुक्त किया गया था, कहा जाता है कि पप्पू देव का नेपाल सेफ हाउस था जहां बिहार में अपहरण करने के बाद वह पनाह लेता था।

पप्पू देव का कोसी क्षेत्र के ही एक और बाहुबली नेता आनंद मोहन सिंह से अदावत रही, दोनों कोसी क्षेत्र में अपना एकछत्र वर्चस्व स्थापित करना चाहते थे, 7 साल पहले जब दोनों सहरसा कारा में बंद थे तब उनके बीच झड़प भी हुई थी, हालांकि आनंद मोहन राजनीतिक रूप में पहले दौर में कामयाब रहे लेकिन पप्पू देव का माननीय बनने का सपना पूरा नहीं हो सका, कोसी क्षेत्र में वर्चस्व कायम करने के लिए पप्पू देव का पप्पू यादव से भी 36 का आंकड़ा रहा।

जाली नोट और अपहरण के धंधे में मोटा माल उगाहने के बाद पप्पू जमीन के अवैध कारोबार में शामिल हो गया था, उसका मुख्य धंधा अब करोड़ों अरबों की विवादित जमीन पर कब्जा करना और कराना बन गया था, इसके साथ ही वह खुद विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी कर रहा था, कहा जा रहा है कि वह बिहपुर से विधानसभा चुनाव लड़ने की तैयारी में था लेकिन शनिवार की रात मुठभेड़ के बाद पुलिस कस्टडी में हार्ट अटैक से मौत हो गई, हालांकि पप्पू देव के समर्थकों कहना है कि पुलिसया पिटाई से उनकी जान गई है।

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