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वही घटना की सूचना के बाद ग्रामीणों व परिजनों का आक्रोश फूट पड़ा और लोगों ने पहले थाना पर ही हमला कर दिया। लोगों ने गेट पर शव रख थाना में तोड़फोड़ मचाना शुरु कर दिया। कुर्सियां सहित कई उपस्कर तोड़ दिए। पुलिस लोगों को शांत करने की कोशिश में जुटी रही। बाद में लोगों ने थाना के सामने बनमनखी-धमदाहा पथ पर आगजनी कर सड़क जाम कर दिया। लोग तत्काल हत्यारे सह लुटेरों की गिरफ्तारी, फरार चौकीदारों को सामने लाने व थानाध्यक्ष को तत्काल निलंबित करने की मांग पर अड़े हुए थे। प्राप्त जानकारी के अनुसार सुभाष चंद्र मिश्र तकरीबन 2:00 बजे बैंक से राशि निकासी कर थाना पहुंचे और पुलिस को सूचना दी। थाना द्वारा उन्हें रसाढ़ स्थित केंद्र तक सुरक्षित राशि ले जाने के लिए दो चौकीदार उपलब्ध कराया गया।
इसमें एक चौकीदार सुभाष के बाइक पर सवार हुआ तो दूसरा अपने बाइक से उनके साथ चला। वे लोग ज्यों ही हृदयनगर से आगे बढ़े सामने से आ रहे बाइक सवार तीन बदमाशों ने हथियार दिखा उनकी बाइक रुकवा ली। यह देख संचालक के साथ बाइक पर बैठा तत्काल उतर मक्के के खेत की ओर भाग गया, जबकि दूसरे ने भी अपनी बाइक तत्काल मोड़ ली। यह देख संचालक रुपयों से भरा बैग लेकर बगल में मक्का काट रहे मजदूरों की ओर बाइक छोड़ भागने का प्रयास किया। यह देख बदमाशों ने उन पर ताबड़तोड़ गोलियां बरसा दी। गोलियों की तड़तड़ाहट सुन आसपास से काफी संख्या में लोग घटनास्थल की ओर भागे और संचालक को बनमनखी अनुमंडल अस्पताल भी ले गए, लेकिन उनकी मौत घटनास्थल पर ही हो चुकी थी। देर शाम तक लोगों का हंगामा जारी था। आसपास के कई थानों की पुलिस भी वहां पहुंच गई थी।