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भाई वीरेंद्र ने कहा की पीड़ित परिवार ने पंचायत सचिव पर रिश्वत मांगने और काम न करने की शिकायत की थी। जिस कारण मैंने सचिव को फोन किया। सचिव ने मेरी पहचान पूछी, मैंने बताया कि मैं विधायक भाई वीरेंद्र हूं। मैंने सिर्फ इतना कहा कि ‘प्रोटोकॉल का ख्याल रखें और मृत प्रमाणपत्र तैयार कर दें। उन्होंने दावा किया कि ऑडियो रिकॉर्डिंग में कहीं कोई धमकी नहीं दी गई है।
बाद में पंचायत सचिव ने खुद फोन करके माफी भी मांगी। यह एक सोची-समझी साजिश है मुझे बदनाम करने की, ताकि मुझे चुनाव से बाहर किया जा सके। लेकिन मैं डरने वाला नहीं हूं। आगे कहा कि वे अपने वकील से सलाह लेकर कानूनी कार्रवाई पर विचार करेंगे। साथ ही उन्होंने पंचायत सचिव के खिलाफ भी जांच और कार्रवाई की मांग की है। यह मामला अब कानूनी और राजनीतिक दोनों मोर्चों पर गर्म हो गया है। एक ओर पंचायत सचिव का गंभीर आरोप है, तो दूसरी ओर विधायक इसे राजनीतिक साजिश बता रहे हैं।



