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वही माओवादी रावण कोड़ा की सक्रियता बिहार के अलावा छत्तीसगढ़ एवं झारखंड में काफी रही। लखीसराय में वर्ष 1913 में कुंदर हाल्ट के निकट धनबाद-पटना इंटरसिटी एक्सप्रेस ट्रेन में नक्सल घटना को उसने पहली बार अंजाम दिया था। इसके बाद लखीसराय के कजरा, पीरी बाजार एवं चानन थाना के अलावा मुंगेर के शामपुर, बरियारपुर, लड़ैयाटांड, हवेली खड़गपुर, जमुई के बरहट एवं खैरा थाना क्षेत्र में लगातार नक्सल घटना को अंजाम दिया।
इसके साथ ही वर्ष 2021 में मुंगेर जिले के अजीमगंज के मुखिया परमानंद टुड्डू की गला काटकर हत्या करने के मामले में भी रावण कोड़ा आरोपित था। इस सम्बन्ध में जानकारी देते हुए लखीसराय के एसपी अजय कुमार ने बताया कि उग्रवादियों के समर्पण एवं पुनर्वासन नीति के तहत देय अन्य सुविधाओं के अतिरिक्त इन्हें 2,50,000 रुपये इनके खाते में, इनके ऊपर घोषित तीन लाख रुपये एवं रोजगारोन्मुखी प्रशिक्षण भत्ता अधिकतम 36 माह तक प्रत्येक माह 10,000 रुपये कुल 3,60,000 रुपये वित्तीय सहायता प्रदान की की जा रही है।